भईया और डाकिया
Friday, December 2, 2011
samajik pripekshy me upeksha ke shikaar bachche
Friday, June 3, 2011
नव भारत टाइम्स बुधवार के दी स्पेकिंग ट्री मे फिरोज बखत अहमद कहते है कि ख्वाजा ने कहा , दर्द से ही इमान पैदा होता है , जो कि बिल्कुल सही है / लेकिन बखत साहब सुफी मत और इस्लाम मे भेद करते हुए लिखते है / कि सुफी मत मे इस्लाम कि कट्टरता नहीं थी / इस पन्थ के लाचीलेपन के कारण लोग इसकी और आकर्षित हुए होंगे. / बखत साहब ने जो भी अनुमान लगा लिया हो , लेकिन एक बात उन्हे पता होना चाहिए कि कट्टरता क्या होती है / कट्टरता मतलब अपने नियमो के अनुसार चलना , जो अल्लाह ने बनाए है / इस्लाम धर्म को पुरी इमानदारी के साथ अनुसरण करने के साथ सुफी मत फैला , जो व्यक्ति चाहे किसी मत का हो वह कट्टर जब टक नहीं है , जब टक वह अपने धर्म को इमानदारी से नही निभा रह है / जो व्यक्ति धर्म के नाम पर लोगो को जाला रहा हो , बलात्कारी बन गए हो, मानवता को भुल कर साम्प्रदायिकता फैलने वाले भाषण देता हो वह कट्टर नही हो सकता है / क्योकी इसमे इमानदारी तो रही ही नहीं / बखत साहब कट्टर शब्द को भली भाँती पढे / फिर अपने विचार प्रकट करे/ अगर इस्लाम धर्म अपनी पुरी इमानदारी कट्टरता से लोग पालन करे तो पुरा ही सन्सार ही सुफी नज़र आएगा / संसार मे जितने भी मुख्य धर्म है / उसके अनुयायी अपनी मत को पुरी कट्टरता से पालन करे तो पुरी दुनिया ही सुफियाना लगेगी /
सैयद परवेज
बदरपुर न्यु दिल्ली -44
Wednesday, May 4, 2011
सैयद परवेज़
बदरपुर नई दिल्ली -110044
Tuesday, December 14, 2010
Saturday, July 24, 2010
सैनिक और जार
Saturday, June 26, 2010
एक व्यक्ति
गोरखपुर चौरा चोरी के हिंसात्मक घटना के बाद महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था / अंग्रेजो ने कैदियों को छोड़ा उन कैदी में कि व्यक्ति भी छूटा , जिसके बाल तथा दाढ़ी बढ़ गए थे / जेल से छूटने के बाद कैदी ने आजीवन आपने बाल नहीं कटवाए / वह व्यक्ति एक निष्टावान , सामाज सेवी , आचारवान राजनेता ,एक समर्पनशील देश भक्त ,एक विवेकशील राजनीतिक और एक श्रद्धालू साहित्य सेवी के अतिरिक्त गंभीर विचारवान बना / आगे चल कर वह महात्मा गाँधी का पूरक सहयोगी बना /गाँधी जी के गुणों के करण व्यक्ति को उत्तरप्रदेश का गाँधी कहा जाने लगा / वह व्यक्ति मातृभाषा राष्ट्र प्रेम तथा सहयोग एवम त्याग कि भावना कूट कूट कर भरी हुई थी / महात्मा गाँधी जी व्यक्ति के गुणों के बहुत बड़े प्रशंसक थे / व्यक्ति का हिंदी प्रेम कि मुख्य उपलब्धि हिंदी साहित्य सम्मलेन भी है / सम्मलेन के काम काज को विकसित करने के लिए व्यक्ति ने गांघी जी को भी सम्मलेन का सदस्य बना लिया / कभी कभी व्यक्ति और गाँधी जी में अनेक बात को लेकर मतभेद रहता था / पर इस मतभेद के करण परस्पर संबंधो में कभी कटुता नहीं आई / व्यक्ति ने देश सेवा करते हुए 1 जुलाई 1962 को इस दुनिया को अलविदा कहा पता है वह व्यक्ति कौन था / वह थे राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन / ऐसे व्यक्ति को हमें नमन करना चाहिए /
सैयद परवेज़
Saturday, April 24, 2010
दुनिया के लोग
एक महात्मा घूम घूम कर लोगो को धर्म के रह पर चलने का वास्तविक उपदेश दे रहे थे / घूमते घूमते वह एक व्यक्ति के घर पहुंचे / व्यक्ति ने महात्मा को प्रणाम किया / महात्मा ने देखा कि व्यक्ति के तीन बच्चे है / घर भौतिक वादी आधुनिता से और वैशिवक संस्कृति से परिपूर्ण था / महात्मा ने कहा वत्स में धर्म का प्रचारक हूँ / धर्म के शिक्षा फैलाना चाहता हूँ / क्या तुम अपने एक बच्चे तो भी धर्म कि शिक्षा के लिए मेरे आश्रम में भेजोगे / व्यक्ति काफी देर सोचता रहा और अंत में बोला महाराज मेरे छोटे बच्चे को आप धर्म कि शिक्षा दीजिये / महात्मा बोले तुमने इतनी देर तक सोचा और छोटे लडके को ही क्यों चुना ?
व्यक्ति ने कहा महाराज यह लड़का मेरे दोनों लड़को कि तुलना में पढाई में होशियार नहीं है / अध्यापक इसे मूर्ख कहते है / तो मै यह चाहूँगा कि यह धर्म कि शिक्षा ले / महात्मा बोले आज के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो आश्चर्य है / लोग अपने मूर्ख लड़को को धार्मिक शिक्षक , धर्म गुरु बनाना चाहते है / उसके विपरीत बुद्धिमान को दुनिया दारी में ही रहने देना चाहते है / क्या विडम्बना है / वत्स खैर मूर्ख भी बुद्धिमान है / बस समझने का अंतर है / जब एक पागल को पूरी दुनिया पागल लगाती है और पागल को दुनिया के लोग जानते हुए भी पागल कहते है / लेकिन दुनिया के लोग यह नहीं जानते कि पागल तो वह है जो प्रक्रति और लोगो के साथ अमानवीय वर्ताव कर रहे होते है / महात्मा मूर्ख बच्चे को स्वीकार करते हुए कहते है यह उन समझदारो से कई गुना बेहतर है जो अपने को समझदार समझाते हुए भी राष्ट्र , मानवता के साथ पागलपन करते है / ऐसे पागलो कि खाश तौर पर भारत में कमी नहीं है /
सैयद परवेज़