Thursday, December 17, 2009

राज्यों का बटवारा किस लिए

कुछ लोग कह रहे है की छोटा राज्य विकास जल्दी करता है / इसके लिए लोग हरियाणा और पंजाब ,हिमाचल प्रदेश की तुलना कर रहे है / कुछ पार्टियों की चाल यह है की वह धर्म जाति, क्षेत्र ,भारत की संस्कृति को तोड़ना चाहते है / एक सरकार सत्ता में आते ही अपने जाति के साथ हो कर काम करने लगती है आखिर यह क्या है /विदर्भ को राज्य बनायेगे तभी विकास होगा / प्रसाशनिक कर्तव् भी होता है / सभी लोगो को स्कूल कॉलेज हॉस्पिटल , कोर्ट यह तक की हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट , घर के पास ही चाहिए / राज्य का बटवार ऐसे ही होता रहा तो जिला स्तर पर राज्य भी बनाने की बात होने लगेगी /जहाँ जाति का बहुमत हो वह अपना राज्य बनाने की बात करेगा / जब भारत आज़ाद हुआ तब राज्यों का गठन हुआ , तो उस समय एक राज्य और बनाने की बात हुई थी , जो की पश्चिम बंगाल और आसाम के पास है -कूच विहार क्या उसे अभी तक राज्य बनाया गया है / इस की भी अपनी अलग संस्कृति है /

राज्य का बटवारा -सिर्फ क्षेत्रवाद का रूप है

आज भारतवर्ष क्षेत्रवाद इतना व्यापक तौर पर दिखाई दे रहा है ,की भारत में राज्यों के बटवारे की लहर दोड गई है / एक तरफ तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता के चंद्रशेखर राव की भूख हड़ताल ने तेलंगाना राज्य बन जाने की मांग पर उनकी उम्मीद बढ गई है /दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के बटवारे की बातें चल रही है / क्या यह सही है , क्या उत्तरप्रदेश की कोई संस्कृति नही है ? कुछ लोगो की मूर्तिया इस लिए समाज में स्थापित की जाती है / ताकि लोग उनसे प्रेरणा ले सके लेकिन उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री ने माननीय कांशी राम जी के बगल में अपनी मूर्तिया भी लगवा दी है / आखिर यह क्या है , पार्टी वशीयत का उल्लेख करते हुए मायावती कहती है स्वर्गीय कशी राम जी की इच्छा थी जिन लोगो की मूर्तिया मरने के बाद लगायी जाती है उसे वह देख नही पाते , उनकी मूर्तियों के साथ उनके चाहने वाले की भी मूर्तिया लगे / क्या इस लिए माया वती अपनी मूर्तिया लगवा रहीं हैं / स्वर्गीय कशी राम जी को में भी बहुत चाहता हूँ , इतना की दलित और अल्पसंख्यक डिप्लोमा की पढाई की , दलित मुद्दे पर काम भी करता हूँ / क्यो की दलित की कोई सर्वमान्य परिभाषा नही है ,हर व्यक्ति दलित है जिस के साथ शोषण हुआ हो , वंचित हो , वह दलित है , दलित किसी विशेष धर्म से सम्बन्ध नही है हर धर्म में दलित है हर वर्ग समुदाय में शोषण होता है / कांशी राम जी को में चाहता हूँ इस का यह आशय नही की मेरी मूर्तिया कांशी राम जी के बगल में लगा दी जाए / उत्तरप्रदेश को अब बाटने की बात हो रही है / कारण बताया जा रह है इससे विकास जल्दी होगा / जो मुख्यमंत्री यह कहता है वह बड़े राज्य का संचालन नही कर सकने का करण बताते है उन्हें अपनी कुर्सी छोड़ देनी चाहिए /बड़ा राज्य रह कर भी विकास किया जा सकता है /छोटे राज्य बनाने से क्षेत्रवाद फैलेगा न की विकास / खैर यह मेरीराय है इस से जुड़े लोगो की राय अलग हो सकती है जो नेता यह कहता है की मरने के बाद मूर्तिया लगायी जाती है ,इस से मरा हुआ व्यक्ति देख नही पाता, जीवित रहते हुय ही मूर्तिया लगनी चाहिए , ताकि वह देख सके ,मरने के बाद मूर्तिया लगाने से क्या फायदा / मेरा मानना है जो नेता जीवित रहते हुए अपनी मूर्तिया लगवाता है , उसकी मृत्यु के बाद उसकी मूर्तियों को तौड़ देना चाहिए / ऐसा भी वसीयत बनवाना चाहिए /मृत्यु के बाद उसकी मूर्तिया तौड देनी चाहिए / मरने के बाद न तो नेता को सम्मान की जरुरत है, क्यो की जीवित रहते हुए ही उसने ख़ुद ही मूर्तिया लगा कर सम्मान प्राप्त कर ली , मरने के बाद नेता को क्या सम्मान की जरुरत ......./

Monday, December 14, 2009

राज्य के बटवारे पर .......मूर्तिया

जो नेता यह कहता है की मरने के बाद मूर्तिया लगायी जाती है ,इस से व्यक्ति देख नही पाता, जीवित रहते हुय ही मूर्तिया लगनी चाहिए , ताकि वह देख सके ,मरने के बाद मूर्तिया लगाने से क्या फायदा / मेरा मानना है जो नेता जीवित रहते हुए अपनी मूर्तिया लगवाता है , उसकी मृत्यु के बाद उसकी मूर्तियों को तौड़ देना चाहिए / ऐसा भी वसीयत बनवाना चाहिए /मृत्यु के बाद उसकी मूर्तिया तौड देनी चाहिए / मरने दे बाद न तो नेता को सम्मान की जरुरत है, क्यो की जीवित रहते हुए ही उसने ख़ुद ही मूर्तिया लगा कर सम्मान प्राप्त कर ली , मरने के बाद नेता को क्या सम्मान की जरुरत ......./

Sunday, December 13, 2009

राज्य का batwaar क्यो

आज भारतवर्ष क्षेत्रवाद इतना व्यापक तौर पर दिखाई दे रहा है ,की भारत में राज्यों के बटवारे की लहर दोड गई है / एक तरफ तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता के चंद्रशेखर राव की भूख हड़ताल ने तेलंगाना राज्य बन जाने की मांग पर उनकी उम्मीद बढ गई है /दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के बटवारे की बातें चल रही है / क्या यह सही है , क्या उत्तरप्रदेश की कोई संस्कृति नही है ? कुछ लोगो की मूर्तिया इस लिए समाज में स्थापित की जाती है / ताकि लोग उनसे प्रेरणा ले सके लेकिन उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री ने माननीय कांशी राम जी के बगल में अपनी मूर्तिया भी लगवा दी है / आखिर यह क्या है , पार्टी वशीयत का उल्लेख करते हुए मायावती कहती है स्वर्गीय कशी राम जी की इच्छा थी जिन लोगो की मूर्तिया मरने के बाद लगायी जाती है उसे वह देख नही पाते , उनकी मूर्तियों के साथ उनके चाहने वाले की भी मूर्तिया लगे / क्या इस लिए माया वती अपनी मूर्तिया लगवा रहीं हैं / स्वर्गीय कशी राम जी को में भी बहुत चाहता हूँ , इतना की दलित और अल्पसंख्यक डिप्लोमा की पढाई की , दलित मुद्दे पर काम भी करता हूँ / क्यो की दलित की कोई सर्वमान्य परिभाषा नही है ,हर व्यक्ति दलित है जिस के साथ शोषण हुआ हो , वंचित हो , वह दलित है , दलित किसी विशेष धर्म से सम्बन्ध नही है हर धर्म में दलित है हर वर्ग समुदाय में शोषण होता है / कांशी राम जी को में चाहता हूँ इस का यह aashaye नही की मेरी मूर्तिया कांशी राम जी के बगल में lagai जाए / उत्तरप्रदेश को अब bantne की बात हो रही है / कारण बताया ja रह है इससे vikash जल्दी होगा / जो मुख्यमंत्री यह कहता है वह बड़े राज्य का sanchalan नही कर sakane का karan batate है unhe अपनी kurshi छोड़ दे चाहिए /बड़ा state रह कर भी vikash किया ja सकता है /छोटे राज्य banne से क्षेत्रवाद phelega न की vikash / kher यह मेरी ray है इस से जुड़े लोगो की ray अलग हो sakati है

Friday, December 4, 2009

दुनिया के अजब लोग

मन्दिर मस्जिद की लड़ाई क्या इससे दुनिया चलाने वाला खुश होगा , यह मात्र भ्रम है / भगवन मर्याद पुरुषोतम श्री राम चंदर जी को कितना दुःख हुआ होगा जब बाबरी मस्जिद तोड़ दी गई होगी / भगवान् राम चंदर त्याग की मूर्ति थे / न की आज के भ्रष्टाचारी लोगो की तरह / लोगो भगवान् को भी नही छोड़ा , पूरा भारत वर्ष ही भगवान् राम का है / धर्म के नाम पर ,जाती के नाम पर ,और आज कल क्षेत्र के नाम नेता लोग राजनीती कर रहे है/ लोगो को समझना चाहिए / यह मानवता के दुश्मन है /

Friday, November 27, 2009

क्षेत्रवाद

भारत में कई तरह की समस्याए हैं / उन समस्याओं में एक समस्या क्षेत्रवाद की भी है / भारत में क्षेत्रवाद लगभग १९८४ से भी पहले शुरू हुआ लेकिन १९८४ के आस पास बढ़ता हुआ दिखा /जो वर्तमान किसी क्षेत्र राज्य का हिस्सा बनता दिखाई दे रहा है /प्रश्न उठता है क्या ?क्षेत्रवाद को भारतीय जनसमूह स्वीकार करते हैं या उनकी मानसिक स्थिति इस तरह ढाल दी जाती है की वह क्षेत्रवाद में शामिल होने लगते हैं /क्षेत्रवाद राजनीतिक कारणों के कारण भी उदय हुआ / कोई सवर्जन की बात करता है , जहाँ पर सभी धर्मो -विचारो के लोगो का स्वागत है /उस विचार धारा को तोड़ने के लिए धर्म की राजनीती की उदय हुआ /जो एक धर्म को न्याय दिलाने के लिए या वह सोचते है की उनके साथ अन्याय हुआ इस विचार धारा के साथ उन्होंने समुदाय का निर्माण किया या आज़ादी से पहले हो भी चुका था /उन समुदायों में से एक राजनीतिक पार्टी का उदय हुआ ,जिस का आधार ही धर्म विशेष की राजनीती करना था /लोगो ने भावनात्मक तरीके से साथ देने आए कुछ ने मना किया /इस तरह से भारत में धर्म विशेषकर राजनीतिक शुरू हुई /इसी तरह जाति के अन्दर ही आपसी छुआ छूत ऊँचनीच की दीवार भारतीय समाज में वर्षो से चली आ रही व्यस्था को तोड़ने के लिए दलित राजनीती का दौर शुरू हुआ /आज भारत में कई पार्टिया राजनीतिक मैदान में है /राजनीतिज्ञों के पास भारतीय समाज को बाटने के लिए अब कोई चारा नही सूझ रहा था /तो महाराष्ट्र के बाल ठाकरे ,जिन्हें लोग बाला साहेब ठाकरे कहते हैं /उन्होंने क्षेत्रवाद की अवधारणा को बढाया , ऐसे नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए लोगो का पथ भ्रष्ट करना शुरू करते हैं /कहते है आज हमारे राज्ये में लोग भूखे मर रहे हैं ,लोगो को काम नहीं मिल रहा है / हमारी भाषा स्वतंत्र भारत में लुप्त हो रही है /क्षेत्रवादी नेता कहते है ऐसी भाषाओ का सम्मान किया जा रहा है जिसे हमारे पूर्वज सम्मान नही देते थे /इस प्रकार ऐसे नेता कुछ लोगो को अपनी ओर खीचने में सफल हो जाते है और सफल हुए भे है /में पूछता हूँ आज दिल्ली के लोगो में क्या कोई यहाँ का लोकल व्यकित रिक्शा चला रहा है ? क्या वह पाँच मंजिलो पर चढ़ कर मजदूरी करने को तैयार है /लेकिन बिहार के लोग कर रहे हैं /कुछ मेहनत के बल पर अधिकारी भी हैं /मैं क्षेत्रवादी धरना से ग्रस्त राज्यों से पूछना चाहता हूँ की वहां की जनता मजदूरी क्यो नही करती ? क्या मजदूरी करना पाप हैं ?क्षेत्रवाद ऐसी बीमारी है जो भारतीय समाज तो तोड़ सकती है /और तोड़ भी रही है / यह हमरे लोकतंत्र के खतरा भी है /कभी प्रवासी स्टुडेंट्स के पिटाई की जाती है कभी धार्मिक त्यौहारों पर हँसी उड़ाई जाती है / आखिर यह क्या है ?क्षेत्रवाद ऐसा हावी होता जा रहा है की उसने राष्ट्र भाषा हिन्दी पर भी प्रहार किया है /महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के विधायक ने एक समजवादी पार्टी के विधायक को थप्पड़ मारा ,क्योकि वह हिन्दी में शपथ ले रहे थे /उस विधान सभा का द्रश्य भारत की जनता ने देखा एक तरफ हम हिन्दी की बात करते हैं दुःख है की भारत में ही हिन्दी के साथ सोतेला व्यवहार हो रहा है /आखिर क्यो ?..............................बात और भी है ......मिले ...सैयद परवेज़ से

Monday, November 16, 2009

सचिन के खिलाफ बालठाकरे का बयान बिल्कुल देश को तोड़ने वाला है सचिन अगर यह कह रहे हैं के मै महाराष्ट्री होने के साथ एक भारतीय हूँ तो क्या गलत कहा ,१६-११-२००९ सामना न्यूज़ पेपर के माध्यम से मुंबई की बढती आबादी ,भुखमरी , महानगर में फैलती बीमारियों के लिए बहार से रोजगार प्राप्त करने आए लोगो को बदनाम करना , क्षेत्रवाद फैलाना , मुंबई को १०५ लोगो का बलिदान तो सही है लेकिन १०५ लोगों की आत्मा बालठाकरे जैसे लोगो से दुखी होगी / क्योकि महाराट्र के लोगो ने भारत को जोड़ना चाह है तोड़ना नही / क्षेत्रवाद नेता अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक जगह पाने के लिए -क्षेत्रवाद को ढोंग कर रहे है -हिंदुस्तान एक है इसे तोड़ने वोलो तो सज़ा मिलने चाहिए -महाराष्ट्र ले लोगो से अपील है -क्षेत्रवादी तत्वों को समाप्त करे , क्यो की जो देश का नही वह अपने राज्ये का नही हो सकता /

Sunday, November 15, 2009


शिवसेना और मनसे द्वारा मुंबई में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया क्लर्क परीक्षा में क्षेत्रवाद की बात करना देश में अशांति फैलाना है कोई भी सरकारी या गैरसरकारी संस्थान कर्मचारियों की भर्ती उसकी योगिता से करता है क्या अन्य राज्य में होने वाली परीक्षायों में कौन रोक रहा है अगर हर स्टेट की पार्टी क्षेत्रवाद की बात करेगीं तो भारत टूट जायेगा भारत सरकार को चाहिए की ऐसी राजनीतिक पार्टियों पर प्रतिबंध लगाये महाराट्र की जनता से मेरी अपील है की ऐसी राजनीतिक पार्टियों को सहयोग प्रदान न करे ,सोचने वाली बात है जो देश की एकता और अखंडता को नही समझता वह क्या महाराष्ट्र के वीरो के विचारो को समझेगा क्योकि देश वृहत विचारो से चलता है छोटी मानसिकता से नही /

Saturday, November 14, 2009

महाराष्ट्र नव निर्माण के निदर्लीय विधायक दुवारा समाज वादी पार्टी के विधायक को इसलिये विधान सभा में मनसे के विधायक ने समजवादी पार्टी के नेता पर हाथ उठाया क्योकि वह हिन्दी में शपथ ले रहे थे भारत में क्षेत्रवाद एक भयंकर समस्या बनती जा रही है एक तरफ हम हिन्दी की बात करते है दूसरी तरफ भारत में ही हिन्दी का अपमान हो रहा है देश बहुत जगहों से टूटता दिख रहा है कभी धर्म के नाम पर कभी जाती के नाम पर टूटता दिख रहा है क्षेत्रवाद के नाम पर यह देश द्रोही लोक तंत्र को समाप्त करने वाले कभी बिहारियों को ,बिहार के लोगो को मारते है मानसिक अत्याचार करते है क्या यह बिहार के लोग शहरों में रिक्शा चलाते है क्या यह रिक्शा चलाये मजदूरी करे यह नही करेगे क्योकि इनके पेट भरे हु है आवश्कता है राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी का जन्तर पढ़े -----तब यह भारत की विभिन्नता में एकता को समझ पायेगे क्यो की भारत महान है

Sunday, January 4, 2009

भाईया और डाकिया
सैयद परवेज
एक रोजगार समाचार में प्रकाशित हुआ, मुम्बई सेन्ट्रल के डाकघरों में पोस्ट मैंनों की भर्ती एक बिहारी युवक भर्ती की खबर को पढ़कर दुविधा में सोचता है कि आवेदन करू या नही।एक हरियाणी मित्र ने अपने लहजे से समझाया अबे चावल अभी देखा नही कि कितनें बिहारियों की पिटाई की गई। साले तू डाकिया बने या ना बने। तेरा पत्र तेरे पिता जी को जरूर मिलेगा कि लड़के को मनसे वालों ने इतना पीटा कि आप का लड़का नही रहा और छानबीन के अनुसार आप का लड़का आंतकी और हिंसक वारदातों में शामिल भी था खैर, सरकार आपको एक लाख रूपये की क्षतिपूर्ति कर रही है।
वैसे जो चला जाता है, उसकी क्षतिपूर्ति पैसे से नही की जा सकती है, युवक ने मित्र की बात नही मानी, सलाह के लिए एक अध्यापक के पास गया अध्यापक ने सलाह दिया, कि बेटा मनसें से क्या डरना पूरा भारत एक है, तुम कही भी भ्रमण कर सकते हों नौकरी पा सकते हो भारत एक धर्मनिरपेक्ष, स्वतंत्र, लोकतन्त्र है। क्षेत्रवाद-जातिवाद, भाषावाद जैसी विषमता तो आजादी मिलते ही समाप्त हो चुकी है। यह तो उपद्रवी, आतंकी है। ऐसे दुष्टो से क्या डरना और डर कर भी जीना कोई जीना है, तुम निःसंकोच आवेदन करो। तुम्हे सफलता मिलेगी।
युवक जोश में आकर आवेदन करता है और अन्त में डाकिया बन कर पत्र लेकर घर-घर जाता। युवक को कुछ लोग जानने लगे और भईया डाकिया पुकारने लगे। अब उसका सम्बोधन भईया और डाकिया से हो रहा है। अब युवक पत्र लेकर जाये ंतो लोग कहतें कि भईया आया है। एक दिन युवक मनसे के दफ्तर में पत्र लेकर पहुॅचा और मानसे वालों ने उसे पहचान लिया और महाराष्ट्र की अस्मिता के साथ जोड़कर कहा, भईया और डाकिया, नही चलेगा डाकिया होगा तो महाराष्ट्री होगा भईया नही तुम बिहार जाओं नही तो हम तुम्हें खुद ही भेज देगें। युवक ने कहा मैंनेें परीक्षा से नौकरी पाई है। तुम भी पा सकतें थें मनसे वालों ने कहा कि भईया विरोध करता है विरोध का फल मिला कि मनसें तथा सैना ने उसे ऊपर भेज दिया। युवक का मृत्यु पत्र उसके पिता को मिला गृह मंत्री ने कहा यह उपद्रवी था। बड़ी जांच होगी।
इसी बीच मुम्बई के होटलों में आतंकी हमले हो गए। फायरिंग हुई देश के जवान शहीद हुए और जीत मिली। बाद में देश के गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे कर कहा हमारे बस की बात नही। अब युवक भूत बन चुका है। कहां गयी मनसे की सेना जो आतंकी और आतंकवाद को खत्म करें। महाराष्ट्र की अस्मिता खतरें में थी। देश के जवानों की मौत से पहलें सेना और मनसे बीच में क्यों नही आयें। बहुत सोचनें का प्रश्न हैं ऐसी सेना सिर्फ चूहे है, जो आतंक का दूसरा रूप है।