Sunday, January 31, 2010

ठाकरे सोचे .............

बाल ठाकरे आज कल शाहरुख़ खान की फिल्म माई नेम इज खान के पोस्टर जला रहे हैं तथा सिनेमेक्स थियटर के मैनेजर को धमकाया और थियेटर जलाने की धमकी दी /ठाकरे का सामना कहता है की शाहरुख़ खान ने पाकिस्तानी खिलाडियो के साथ हमदर्दी दिखा कर २६/११ के आतंकी हमले के शहीदों का अपमान किया है /ठाकरे को यह पता होना चाहिए की शाहरुख़ खान के दादा , एक सच्चे हिन्दुस्तानी थे /हिंदुस्तान की ज़मीं से उन्हें प्यार था / जीवन के अन्तिम दिनों तक वह अपने लेवल तक ,मानवता के लिए कार्य करते रहे / भारत के उनसे प्यार करते है / भारतवर्ष ने उन्हें और अब शाहरुख़ खान को प्यार दे रही है /शाहरुख़ खान को हर कौम , जाति, के लोग प्यार करते है / वह एक सच्चे भारतवासी हैं ,एक सच्चे समाज सेवक है / उन्होंने अभी तक मानवता के विरुद्ध काम नहीं किया है /दुःख होता है , ठाकरे शाहरुख़ खान को पाकिस्तान में बसने की बात करते हैं / ठाकरे को पता होना चाहिए की हिंदुस्तान पर जितना अधिकार उसका है उतना ही शाहरुख़ खान का है /कला चश्मा लगाकर ठाकरे का मन भी काला हो गया है /दुःख होता है जब सामाजिक कार्यकर्त्ता , देश की प्रति समर्पित व्यक्ति को धर्म का आधार बना कर , दुषता पूर्वक बयान ठाकरे दे रहे हैं /दुःख होता है जब कोई मुस्लिम होने का भेद करता है /भारत की जनता से अपील है , क्षेत्रवादी नेता , जीवन में साम्प्रदायिकता फैलाने वाले व्यक्ति ,अपनी रोजी रोटी चलने के लिए लोगो को भड़का रहे है / महाराट्र की जनता ऐसे दुष्टों का समर्थन न करे /क्यों की महाराष्ट की संस्कृति एकता आपसी भाई चारे को ठाकरे जैसे लोग दूषित कर रहे हैं /

सलाह भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को ..........

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से तुलना करते हुए कहा "बापू व मोदी दोनों के अनुसार रजनीति गरीबी हटाने का अधिकार है /राजनीति का उदेदश्य गरीबी हटाना है /मोदी इसका जीता जागता उदहारण है /" अगर भारत का आम इंसान सोचे तो क्या भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का तुलनात्मक अध्ययन कमजोर नहीं लगता है ? प्रश्न उठता है क्या मोदी समाजवादी विचार धारा के है ? क्या मोदी साम्प्रदायिकता फैलाने , गुजरात दंगा ,में हाथ नहीं रहा है ? क्या मोदी मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषण का प्रयोग नहीं करते / क्या उन्हें बोलने का ढंग है ,पता नहीं मुख्यमंत्री कैसे बने हुए है ? भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी धार्मिकता का पहलू ही ना देखे , एक अखंड भारत की एकता से देखे / गाँधी एक त्याग ,बलिदान ,शौर्य , वीरता ,का नाम है /गाँधी सत्य अहिंसा का नाम है /गाँधी अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने का नाम है /गाँधी कहते थे कोई मुझे मार सकता है मेरे विचोरो को नहीं / मै अंग्रेजी कानूनों का पालन नहीं करुगा ,लेकिन अहिंसा से मुकाबला करना है /गाँधी जी के विचारों में ना क्षेत्रवादिता थी न धर्मवाद था और न ही जातिवाद /किसी को गाँधी जी के प्रदेश से कोई मतलब नहीं /गाँधी राष्टीय एकता की मिसाल हैं / नरेन्द्र मोदी भारतीय एकता को तोड़ने वोले नेता जरूर है दुर्भाग्य है गुजरात के सम्बन्ध होने के बाद भी गाँधी जी का असर उन्हें नहीं हुआ / नरेन्द्र मोदी के विचारो में हिंसा है बातो में हिंसा है और कर्म में हिंसा है /भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को सोच समझ कर तुलना करना चाहिए मै मानता हूँ की तारीफ करने से आज के ज़माने में लाभ होता है , पर तारीफ के लायक व्यक्ति तो ढूढना चाहिए /

Thursday, January 28, 2010

सोचे ..............

हर क्षेत्र में विशष्टि करण हो रहा है /इस प्रकार समाज के विभिन्न क्षेत्रो पर नज़र डाले तो विशिष्टकरण का असर देखने को मिलेगा / प्रश्न है क्या राजनीति में विशिष्टकरण नहीं हो रहा है / मेरा मानना है बुल्कुल विशिष्टकरण हो रहा है /इसमें मानवता का गलाकाट विशिष्टकरण है /ऐसा विशिष्टकरण जिस पर मानवता भी रोने लगे / क्या में गलत कह रहा हूँ ? शायद गलत भी है कुछ लोग मानवता के लिए राजनीति करते /फिर प्रश्न उठता है क्या मानवता के लिए काम करने वाला भोजन नहीं करता / क्या वह इंसानों से अलग है ? क्या वह भागवान है ? बिल कुल नहीं / भोजन की बात आई है तो भोजन की एक सीमा होती है /कुछ लोग यह भी कहते है की जीवन शान से जीना चाहिए / प्रश्न है क्या शान से जीने के लिए भ्रष्टाचार करना जरुरी है / विकास के नाम पर क्षेत्रवाद फैलाना स्टुडेंट्स , अन्य राज्यों के लोग को मरना ,मानसिक अत्याचार करना क्या जरुरी है /भारत के अगर विश्लेषण करे तो क्या वह विशिष्टकरण अपने अन्दर ला पाए है / क्यों भेंड और बकरी की तरह हके जा रहे है /क्या भारत की जनता भेंड और बकरी है / कभी भेडिये धर्म के नाम पर , तो कभी जाति के नाम पर , आज कल जायद प्रचल में है क्षेत्र के नाम पर /भारत की जनता अपने अन्दर विशिष्टकरण लाये अच्छे नेता को चुने और लोग तंत्र को सफल बनाये

Monday, January 25, 2010

क्षेत्रवाद ........

एक जगह पढने को मिला की देश की सबसे मज़बूत महिला सोनिया गाँधी है / हमारे देश में महिला सर्वोच्च पद पर है / महिला चीएफ़ मिनिस्टर भी है /एक राज्य में महिला दलित अधिकारों की बात कर के आई और बाद में अपनी मूर्ति राज्य में लगाव दिया /यह भी मज़बूत महिला है / माया वती ने जिस बात के लिए अपनी मूर्ति लगवाई है मरने के बाद अपनी मूर्ति तोड़ने का वसीयत बनवाएगी और बनवाना भी चाहिए / भारत में कोई धर्म की राजनीती कर रहा , कोई क्षेत्रवाद की , कोई जाती आधारित राजनीती / आखिर यह क्या है /

Sunday, January 24, 2010

क्षेत्रवाद के बारे में ..........

महाराट्र में टैक्सी का परमिट उसे ही मिलेगा जो महाराट्र में १५ वर्षो से रह रहा है / क्षेत्रवाद का आन्नद पहले शिव सेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ही लेती थी /बदनाम थी और है / लेकिन कांग्रेस गटबंधन सरकार में ऐसा नियम कांग्रेस को भी क्षेत्रवाद की श्रेणी में डालता है / अब शिव सेना भूमि पुत्रो को अधिकार दिलाना चाहती है /ऐसा अधिकार जो भारतीय संविधान में नहीं है /शिव सेना और मनसे भारतीय संविधान के उलटे कार्य करते है / यह पूरा हिंदुस्तान जानता है / लेकिन कांग्रेस गटबंधन सरकार का फैसला शिव सेना और मनसे को बल देता है / अगर लोग समझते है की क्षेत्रवादी बनाने से विकास होगा तो वह गलत सोचते है / लोग ही सोचते है तभी तो ऐसे दुष्ट क्षेत्रवादी पार्टियों को बल मिल रहा है जो भारत की एकता और अखंडता को तोड़ रहा है / किसी ज़माने में बम्बई जाना गर्व की बात थी ,फिल्म का गाना भी है बम्बई हम को जम गई /बम्बई एकता की मिसाल लगाती थी /फ़िल्मी दुनिया का केंद्र बना बम्बई / देश विदेश से लोग आये हम देश की बात करगे / देश के कोने कोने से कलाकार बम्बई में इकठा हुए और होते है / आज मुंबई मुम्बा देवी की नगरी में अन्य राज्यों के कलाकारों के घरो पर और उन पर हमला होता है / भारत में ट्रेन भी चली तो मुंबई से / क्या मुंबई की कोई अपनी संस्कृति नहीं है / ऐसा लगता है क्षेत्रवादी नेता रिसर्चर , प्रोफेस्सर , या पि.एच डी कर रहे है / यह खुद ही संस्कृति की परिभाषा नहीं जानते और बात करते है संस्कृति और अधिकार की / यह बात करती है भूमि पुत्रो की भारत की भूमि सभी भारत वाशियों की है यह सभी भूमि पुत्र है / देश की आजादी भारत के भूमि पुत्रो ने दिलाई है / जो की भारत के विभिन्न कोने से है /और यह क्षेत्रवादी दुष्ट बात करते है भूमि पुत्र की / भारत की जनता खाश तोर पर जो राज्य क्षेत्रवाद से प्रभावित है वंहा के लोगो से निवेदन है की ऐसे क्षेत्रवादी पार्टियों को बल प्रदान न करे /

Sunday, January 17, 2010

पूंजीवाद क्या है ?

अक्सर लोग पूंजीकरण का विरोध करते है / मै तो खास तौर पर विरोध करता हूँ /हमारे देश मै पूंजीकरण फैला है /प्रश्न भी उठता है आखिर कौन पूंजी नहीं चाहता / क्या मै धनवान नहीं बनाना चाहता /क्या मुझे शौख नहीं कि मै अच्छा खाना खाऊ ,पहनू, सवारी करू /अच्छे स्कूल में शिक्षा पाने की भी इच्छा थी खैर इस जन्म में तो पूरी नहीं हुई /फिर प्रश्न उठता है कि अच्छे स्कूल मै शिक्षा लेने कि इच्छा क्यों हुई क्या हमारे सरकारी स्कूल कि शिक्षा निति ,ढंग , शिक्षको का व्यवहार क्या अच्छा नहीं है / बिलकुल जब मै स्कूल में पड़ता था तब तो यही हाल था / और अब भी यही हाल जरूर होगा / तभी तो पूंजी प्राप्त लोग,प्राइवेट स्कूल मै अपने बच्चे को शिक्षा दिलवाना चाहते है / पूंजीकरण से लोगो को रोजगार मिला है / यह भी सही है /और तो और भारत में काफी बदलाव आया है /फिर प्रश्न उठता है ? काफी बदलाव में क्या बदला है ?क्या हम मानसिक तौर पर नहीं बदले है ? बिलकुल हम मानसिक तौर पर भी बदले है / जभी तो दाल भात बोलने में शर्म आती है / .............,.,.....

Friday, January 1, 2010

इन कानूनों के बारे में सोचना होगा

सी आर पी सी -१९७ ( इन दिस्चार्गे ऑफ़ ओफ्फिसिअल ड्यूटी ) के तहत कुछ भी कर गुजरने की छूट हासिल है / क्या यह सही है ? कर्तव् पूरा करने के नाम पर अगर वे लोगो की जान ले तो उनके खिलाफ कारवाही तभी संभव है , जब राज्य सरकार इसकी इजाज़त देती है / इस के बारे में आम आदमी को सोचना होगा / नहीं तो धरा १९७ का दुरपयोग होता रहेगा /
एक्ट -३०५ -१८ वर्ष से कम आयु के बच्चे को आत्म हत्या के लिए उकसाने पर आजीवन या कम से कम दस वर्षो तक सजा का प्रवधान है /
लेकिन हमारे समाज की विडम्बना है की कानून धनवानों के पक्ष्य में ही रह रहा है / हम देखते है की एक रिक्शा वाले को हमारे समाज के धनवान वर्गों या पुलिस प्रशासन द्वारा उनकी पिटाई करते हुए हम देखते है / करण कानून का पालन न करना बताया जाता है / एक घर के नौकर को घर का मालिक चोरी का झूठा इनजाम लगाकर पुलिस वालो से पिटवाता है / पुलिस कर्मी उसे बहुत मरते है , लेकिन एक धनवान व्यक्ति या प्रशासिनक व्यक्ति को पुलिस वाले उसे चोर होते हुए भी छोड़ देते है /समाज को सवेंदन शील होना होगा तभी देश बदलेगा , राष्ट तरक्की की तरफ अग्रसर होगा /