Sunday, March 28, 2010

सराय कानून एक्ट १८६७.....

हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित खबर तो होटलों को पिलाना होगा मुफ्त में पानी /उन्होंने वर्तमान सराय कानून १८६७ को अंधेर नगर चौपट रजा से जोड़ का पेश करना वाकई इनकी पूंजीवादी सोच का परिचायक है / मनुष्य शेर का खोल ओड़ ले या शेर मनुष्य का खोल ओड़ ले शेर मनुष्य नहीं बन सकता और न ही मनुष्य शेर बन सकता है / वैसे सराय तो रहे नहीं उनके ही नए चहरे का उदय होटलों के रूप में नज़र आ रहा है लेकिन वजूद सराय का ही है उसे माने या न माने / आज वेशक एक गिलास पानी व भी पूरा भरा नहीं होता एक रूपए में मिलता है जोकि भारतीय सभ्यता संस्कृति के लिए शर्म कि बात है / लेकिन गर्व होता है कि सराय कानून अभी लागू है /लेकिन कितने लोगो कि सराय कानून के बारे में पता है / बड़े बड़े होटलों वाले जो एक कप चाय भी २५-५० रूपए में दे रहे है / सरकार के सामने ही सरेआम उपभोक्तायो को लुटा जा रह है और ऊपर से एक गिलास फ्री में पानी न पिलाना भी शर्म कि बात है / यह तो उस व्यक्ति कि विशेषता है कि जिसने सरकार को जगाया है और आम व्यक्ति को भी सराय कानून के बारे में पता चला है / सरकार सराय एक्ट १८६७ को ख़त्म ना करे / कुछ कानून को परिवर्तन कर सकती है रही बात वेश्य्वृति कि तो कोई भी महिला वेश्यावृति में नहीं आना चाहती है / यह समाज के पूंजीपति वर्ग वाले ही तो पूंजी उछल कर उनका दोहन कर रहे सरकार काली पूंजी वालो पर सख्त कानून लगाये / वजाए सराय एक्ट ख़त्म करने के /

सैयद परवेज़
बदरपुर नई दिल्ली -44

Tuesday, March 23, 2010

दोंग का रूप

बचपन से ही मुझे बुगुर्ग व्यक्तियों से दोस्ती करना अच्छा लगता है / वर्ष २००३ में मैं मोलड बंद विस्तार कालोनी गली संख्या एल २६ में रहने लगा / वहाँ एक बुगुर्ग व्यक्ति सुरेश भारद्वाज से दोस्ती हुई / जोकि अब वह इस दुनिया के कैद खाने से विदा हो चुके है / उनसे मेरा अच्छा तालुकात रहा / जब भी दिखाई देते प्रणाम करता / गली में पानी कि बड़ी समस्या थी / रात -रात भर हम दोनों जाग का टुबेल के वाल को दूसरी गली से बंद करते / पानी प्राप्त करने का समय हमारा रात में ही था / पूरी रात यु ही गुजर जाती कभी पानी मिलाता कभी नहीं / वह नोकरी से रिटायर्ड हो चुके थे / किसी कंपनी में स्टोरकीपर थे / अपने समय के मजदूर यूनियन तथा अपने जीवन के अनुभवो को बताते / राजनीति कि बात होती तो देश के आपातकालीन स्थिति को भी उन्होंने बताया /उनके पास बैठ कर अपनत्व का अनुभव होता था / चाय बनवाते चाय पि जाती और ढेर साड़ी बाते होती / जब उनका निधन हुआ तो मेरे आंसू बंद नहीं हो रहे थे / सगे का संबंथ नहीं था / न ही उन्होंने मुझे कुछ दिया था और न ही मैंने कुछ दिया था / अपने सगे संबंधियों में किसी कि निधन हुआ हो तो मैं इतना नहीं रोया / उनसे मैंने एक महिला के बारे में पुचा था / जिस महिला को मैं थोडा जनता हूँ /वह तथा उसके परिवार का पास पड़ोस से बुरा सम्बन्ध नहीं रहा जो अपने में मस्त ना किसी से लेना और न देना / सन २००४ से मैंने उसके परिवार में बदलाव देखा कि सुबह शाम भजन कीर्तन चालू / मैंने एक अन्य महिला से पुछा था / यह बड़े ही धार्मिक लोग हैं / सुबह शाम भजन कीर्तन अच्छी बात है / अन्य महिला ने बताया कि उस औरत पर देवी का वास है / देवी आती हैं /और लोगो कि समस्यों को हल करती हैं / खैर महिला के यहाँ यह सिलसिला चलता रह और अभी चल रहा है / सायकाल भजन कीर्तन के लिए लोग इकठे होते है और अपनी समस्यों का हल खोजते है तथा चढ़ावा भी चढाते है /मैंने कई बार इस पर आपति भी उठाई लेकिन मुस्लिम होने से डरा कि लोग यही कहेगे कि मुस्लीम है / इसलिये देवी पर विश्वाश नहीं कर रहा / स्वर्गीय सुरेश अंकल ने विश्वाश के चलते ही शायद कुछ नहीं कहा था /मुझे देवी पर विश्वाश है / भगवान् पर विश्वाश है / लेकिन महिला पर देवी आ सकती हैं विश्वास नही / देवी अगर महिला पर आ सकती हैं तो सभी महिला देवी है / उन पर भी तो देवी का वास हमेश होता है / उसी देवी को यही समाज सरे डायन करार दे कर मार भी देता है /देवी कि आड़ में लोग रोजगार चला रहे है / बड़ी विडम्बना है कि समाज पापुलर कल्चर को अपनाते हुए अंधविश्वास को छोड़ना नहीं चाहता है / इसी अंधविश्वास के चलते २० मार्च २०१० कि सायकाल को एक महिला को अपनी जान भी गवानी पड़ी / जान गवई महिला पहले से हार्ट अटैक कि मरीज थी / वह मोलड बंद विस्तार एल २६ में रहती थी / गली के सामने ही देवी वाली महिला का घर है / महिला शाम को उसके घर पूजा करने गई / भजन कीर्तन चालू था / भजन करते करते महिला वेहोश हो गई / वहाँ उपस्थित महिलाये तथा देवी धारण करने वाली महिला ने कहा कि देवी का वास हो गया है / बहुत देर तक होश नहीं आया पानी के छीटे मारी गयी / लगभग एक घंटे तक वही देवी होगे के शक में रोके रखा गया मामला गंभीर लगा तो अस्पताल कि याद आई / जहाँ डॉक्टर ने हार्ट अटैक होने से मारा घोषित कर दिया / अगर समय पर महिला को अस्पताल पंहुचा दिया गया होता तो शायद वह बच जाती / देवी पर्थ अंध विशवास के चलते उसने अपनी जान गवा दी / आवश्यकता है समाज को शिक्षित तथा वैज्ञानिक जागरुक बनाते कि कोई ढोंगी तांत्रिक, डोंगी मोलवी , ढोंगी साधू किसी को सुख समृधि प्राप्त करने के लिए उपाय दे रहा है / ऐसे ही एक मौलवी नोयडा में रहते है / मेरा मानना है सुख समृधि अपनी ईमानदारी कि मेहनत के साथ मानव सेवा है / कोई भी संत भगवान् नहीं है / किसी तांत्रिक देवी धारण करने वाली महिला के पास जाने कि जरूरत नहीं है / आप का कार्य आपकी मेहनत पर निर्भर करता है न कि किसी ढोंगियों के दर्शन से / सरकार ढोंगियों बबयो के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे ताकि सकाज को एक नहीं विचार धारा मिल सके और ढोंगी तंत्र समाज से समाप्त हो सके /
सैयद परवेज़

Tuesday, March 2, 2010

सवेंदनशील बनता हरियाणा पुलिस

२४ वे सूरज कुंद मेले में वैसे तो बहुत सी चीजे आकर्षक का केंद्र रही / लेकिन आकर्षण सामाजिक सरोकार से जुड़ा हो तो चार चाँद लग जाते है / इस बार हरियाणा पुलिस अकादमी की ओर से संवेदी पुलिस से दोस्ती पर स्टाल लगा / संवेदी इंचार्ज ( ए एस आई ) राधे श्याम जी ने बताया की इस बार २९ जनवरी से ७ फेब्रुअरी २०१० तक विश्व पुस्तक मेले में भी हमने अपना स्टाल लगवाया हुआ था / हमारी हरियाणा पुलिस का उद्देश्य है की खास तौर पर आम नागरिक पुलिस से दोस्ती करे और अपना मित्र समझे / तभी हम समाज को बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते है / यह हरियाणा पुलिस आकादमी की देश भर में पहली पहल है / अन्य राज्यों के पोलके को भी आम नागरिको से जोड़ने वाला कार्य करना चाहिए और करते भी होगे / कांस्टेबल संजय कुमार , कुलदीप सिंह , रविंदर सिंह और सीनियर कांस्टेबल ओम प्रकाश / ये सभी पुलिस कर्मी वहां पर लोगो से प्रशनावली भरवा रहे थे / जिसमे समाज से जुडी समस्याए थी और लोगो को समस्याओं का समाधान करने के लिए समझा रहे थे / हरियाणा पुलिस आकादमी समाज से ऋणत्मक पुलिस खौफ को समाप्त करना और अपना मित्र बनाना चाहती है / ताकि आम व्यक्ति भी पुलिस से कंधे से कन्धा मिलकर कार्य कर सके / यह तो बात थी हरियाणा पुलिस प्रशासन की ऐसी हरियाणा पुलिस आकादमी को सलाम और गर्व करना चाहिए / लेकिन प्रश्न उठता है ,क्या पुलिस थानों में भी यह भाई चारे फैलाने वाला कार्य करते है /क्या कोई गरीब, महिला की थानों में ऍफ़ .आई .आर .लिख दी जाती है /सिर्फ मेले में स्टाल लगाने से मामला हल नहीं हो जाता / लेकिन फिर भी सकारात्मक जरूर होगा /क्या हमें नहीं लगता की सूरजकुंड मेला या शहरीकरण का मेला गरीब यानि बी.पी.एल .परिवारों के लिए नहीं होता /वास्तविक तौर पर हरियाणा पुलिस को समाज में पुलिस के प्रति सकारात्मक बदलाव लाना है तो गरीब,दलित ,महिला के साथ हमेश अपने फर्ज का पालन करे / भारतीय कानून का पालन करे / जहाँ धर्म जाति उंच नीच ,धनवान , निर्धन / सभी के साथ पुलिस कानून का पालन करे / तभी इनके मेले का उदेदश्य पूरा होगा और हम गर्व से कहेगे वाह -वाह हरियाणा पुलिस /

सैयद परवेज़