Tuesday, December 14, 2010

केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने सोमवार को विवोदास्पद बयान दिया और तुरंत अपना बयान वापस लेते हुए अपने आप को प्रवासी भी बताया / खैर गलती इंसान कि फितरत बन कर घर कर गई है / और यह बढती ही जा रही है / एक दबे हुए इंसान को ही दबाया जाता है / चिदम्बरम के बयान ने क्षेत्रवाद कि राजनीति करनेवालों के लिए आग में घी का काम किया है / बाल ठाकरे और राज ठाकरे जैसे नेताओ को एक और जुबान दी है / जिससे वह क्षेत्रवाद और भाषावाद कि राजनीति करते है / कहने को ग्लोबेलाइजेशन का दौर है लेकिन वास्तविकता उसके विपरीत है / क्षेत्रवाद का ही तो रूप है कि नेता राज सत्ता के लिए राज्यों का बत्वार करना चाहते है / और तर्क देते है कि इससे विकास होगा / विकास और अशितत्व कि या लोग बात करते है और खुद प्रदेश के अशितत्व को भूल जाते है / क्योकि इनका अपना ही अशितत्व नहीं है

Saturday, July 24, 2010

सैनिक और जार

रूस के सम्राट जार निकोलस रात को भेष बदलकर अपने प्रजा के दुखो को देखते और उन्हें दूर करते थे / एक रात उन्होंने सैनिक चौकी में एक सैनिक को टेबल पर सिर रख कर सोते देखा / उसके सामने एक कागज पर लाखो रुपये के हिसाब थे / जिस पर लिखा था " मेरा क़र्ज़ कौन चुकाएगा "/ जार निकोलस ने उसके नीचे हस्ताक्षर किये और लिखा 'मैं चुकौऊगा " अगर जार सैनिक को सोता देख कर उसे सजा देता तो वह न्याय नहीं होता / लेकिन जार ने सैनिक के क़र्ज़ को चूकाकर उसे दुखो से छुटकारा दिलाया / आज कर्मचारियों के लिए विभिन्न तरह के नियम बनाये गए है /क्या मालिक अपने कर्मचारियों कि मानसिक परेशानियों को समझने कि कोशिश करते है / या लाभ प्राप्ति /कार्य प्रणाली ८ घंटे निर्धारित कि गई है , लेकिन मजदूर ठेकेदारी , प्राइवेट सिक्योरिटी व्यवस्था में १२ घंटे कार्य कर रहे है / तब भी उन्हें पूर पारिश्रमिक नही मिल रहा है / प्राइवेट सिक्योरिटी व्यवस्था थोपने वाली सरकार को वास्तविकता का पता नहीं है कि प्राइवेट सिक्योरिटी व्यवस्था कितना शोषण कर रहे है /

Saturday, June 26, 2010

एक व्यक्ति

एक व्यक्ति
गोरखपुर चौरा चोरी के हिंसात्मक घटना के बाद महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था / अंग्रेजो ने कैदियों को छोड़ा उन कैदी में कि व्यक्ति भी छूटा , जिसके बाल तथा दाढ़ी बढ़ गए थे / जेल से छूटने के बाद कैदी ने आजीवन आपने बाल नहीं कटवाए / वह व्यक्ति एक निष्टावान , सामाज सेवी , आचारवान राजनेता ,एक समर्पनशील देश भक्त ,एक विवेकशील राजनीतिक और एक श्रद्धालू साहित्य सेवी के अतिरिक्त गंभीर विचारवान बना / आगे चल कर वह महात्मा गाँधी का पूरक सहयोगी बना /गाँधी जी के गुणों के करण व्यक्ति को उत्तरप्रदेश का गाँधी कहा जाने लगा / वह व्यक्ति मातृभाषा राष्ट्र प्रेम तथा सहयोग एवम त्याग कि भावना कूट कूट कर भरी हुई थी / महात्मा गाँधी जी व्यक्ति के गुणों के बहुत बड़े प्रशंसक थे / व्यक्ति का हिंदी प्रेम कि मुख्य उपलब्धि हिंदी साहित्य सम्मलेन भी है / सम्मलेन के काम काज को विकसित करने के लिए व्यक्ति ने गांघी जी को भी सम्मलेन का सदस्य बना लिया / कभी कभी व्यक्ति और गाँधी जी में अनेक बात को लेकर मतभेद रहता था / पर इस मतभेद के करण परस्पर संबंधो में कभी कटुता नहीं आई / व्यक्ति ने देश सेवा करते हुए 1 जुलाई 1962 को इस दुनिया को अलविदा कहा पता है वह व्यक्ति कौन था / वह थे राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन / ऐसे व्यक्ति को हमें नमन करना चाहिए /
सैयद परवेज़

Saturday, April 24, 2010

दुनिया के लोग

लघु कथा

एक महात्मा घूम घूम कर लोगो को धर्म के रह पर चलने का वास्तविक उपदेश दे रहे थे / घूमते घूमते वह एक व्यक्ति के घर पहुंचे / व्यक्ति ने महात्मा को प्रणाम किया / महात्मा ने देखा कि व्यक्ति के तीन बच्चे है / घर भौतिक वादी आधुनिता से और वैशिवक संस्कृति से परिपूर्ण था / महात्मा ने कहा वत्स में धर्म का प्रचारक हूँ / धर्म के शिक्षा फैलाना चाहता हूँ / क्या तुम अपने एक बच्चे तो भी धर्म कि शिक्षा के लिए मेरे आश्रम में भेजोगे / व्यक्ति काफी देर सोचता रहा और अंत में बोला महाराज मेरे छोटे बच्चे को आप धर्म कि शिक्षा दीजिये / महात्मा बोले तुमने इतनी देर तक सोचा और छोटे लडके को ही क्यों चुना ?
व्यक्ति ने कहा महाराज यह लड़का मेरे दोनों लड़को कि तुलना में पढाई में होशियार नहीं है / अध्यापक इसे मूर्ख कहते है / तो मै यह चाहूँगा कि यह धर्म कि शिक्षा ले / महात्मा बोले आज के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो आश्चर्य है / लोग अपने मूर्ख लड़को को धार्मिक शिक्षक , धर्म गुरु बनाना चाहते है / उसके विपरीत बुद्धिमान को दुनिया दारी में ही रहने देना चाहते है / क्या विडम्बना है / वत्स खैर मूर्ख भी बुद्धिमान है / बस समझने का अंतर है / जब एक पागल को पूरी दुनिया पागल लगाती है और पागल को दुनिया के लोग जानते हुए भी पागल कहते है / लेकिन दुनिया के लोग यह नहीं जानते कि पागल तो वह है जो प्रक्रति और लोगो के साथ अमानवीय वर्ताव कर रहे होते है / महात्मा मूर्ख बच्चे को स्वीकार करते हुए कहते है यह उन समझदारो से कई गुना बेहतर है जो अपने को समझदार समझाते हुए भी राष्ट्र , मानवता के साथ पागलपन करते है / ऐसे पागलो कि खाश तौर पर भारत में कमी नहीं है /

सैयद परवेज़

Sunday, March 28, 2010

सराय कानून एक्ट १८६७.....

हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित खबर तो होटलों को पिलाना होगा मुफ्त में पानी /उन्होंने वर्तमान सराय कानून १८६७ को अंधेर नगर चौपट रजा से जोड़ का पेश करना वाकई इनकी पूंजीवादी सोच का परिचायक है / मनुष्य शेर का खोल ओड़ ले या शेर मनुष्य का खोल ओड़ ले शेर मनुष्य नहीं बन सकता और न ही मनुष्य शेर बन सकता है / वैसे सराय तो रहे नहीं उनके ही नए चहरे का उदय होटलों के रूप में नज़र आ रहा है लेकिन वजूद सराय का ही है उसे माने या न माने / आज वेशक एक गिलास पानी व भी पूरा भरा नहीं होता एक रूपए में मिलता है जोकि भारतीय सभ्यता संस्कृति के लिए शर्म कि बात है / लेकिन गर्व होता है कि सराय कानून अभी लागू है /लेकिन कितने लोगो कि सराय कानून के बारे में पता है / बड़े बड़े होटलों वाले जो एक कप चाय भी २५-५० रूपए में दे रहे है / सरकार के सामने ही सरेआम उपभोक्तायो को लुटा जा रह है और ऊपर से एक गिलास फ्री में पानी न पिलाना भी शर्म कि बात है / यह तो उस व्यक्ति कि विशेषता है कि जिसने सरकार को जगाया है और आम व्यक्ति को भी सराय कानून के बारे में पता चला है / सरकार सराय एक्ट १८६७ को ख़त्म ना करे / कुछ कानून को परिवर्तन कर सकती है रही बात वेश्य्वृति कि तो कोई भी महिला वेश्यावृति में नहीं आना चाहती है / यह समाज के पूंजीपति वर्ग वाले ही तो पूंजी उछल कर उनका दोहन कर रहे सरकार काली पूंजी वालो पर सख्त कानून लगाये / वजाए सराय एक्ट ख़त्म करने के /

सैयद परवेज़
बदरपुर नई दिल्ली -44

Tuesday, March 23, 2010

दोंग का रूप

बचपन से ही मुझे बुगुर्ग व्यक्तियों से दोस्ती करना अच्छा लगता है / वर्ष २००३ में मैं मोलड बंद विस्तार कालोनी गली संख्या एल २६ में रहने लगा / वहाँ एक बुगुर्ग व्यक्ति सुरेश भारद्वाज से दोस्ती हुई / जोकि अब वह इस दुनिया के कैद खाने से विदा हो चुके है / उनसे मेरा अच्छा तालुकात रहा / जब भी दिखाई देते प्रणाम करता / गली में पानी कि बड़ी समस्या थी / रात -रात भर हम दोनों जाग का टुबेल के वाल को दूसरी गली से बंद करते / पानी प्राप्त करने का समय हमारा रात में ही था / पूरी रात यु ही गुजर जाती कभी पानी मिलाता कभी नहीं / वह नोकरी से रिटायर्ड हो चुके थे / किसी कंपनी में स्टोरकीपर थे / अपने समय के मजदूर यूनियन तथा अपने जीवन के अनुभवो को बताते / राजनीति कि बात होती तो देश के आपातकालीन स्थिति को भी उन्होंने बताया /उनके पास बैठ कर अपनत्व का अनुभव होता था / चाय बनवाते चाय पि जाती और ढेर साड़ी बाते होती / जब उनका निधन हुआ तो मेरे आंसू बंद नहीं हो रहे थे / सगे का संबंथ नहीं था / न ही उन्होंने मुझे कुछ दिया था और न ही मैंने कुछ दिया था / अपने सगे संबंधियों में किसी कि निधन हुआ हो तो मैं इतना नहीं रोया / उनसे मैंने एक महिला के बारे में पुचा था / जिस महिला को मैं थोडा जनता हूँ /वह तथा उसके परिवार का पास पड़ोस से बुरा सम्बन्ध नहीं रहा जो अपने में मस्त ना किसी से लेना और न देना / सन २००४ से मैंने उसके परिवार में बदलाव देखा कि सुबह शाम भजन कीर्तन चालू / मैंने एक अन्य महिला से पुछा था / यह बड़े ही धार्मिक लोग हैं / सुबह शाम भजन कीर्तन अच्छी बात है / अन्य महिला ने बताया कि उस औरत पर देवी का वास है / देवी आती हैं /और लोगो कि समस्यों को हल करती हैं / खैर महिला के यहाँ यह सिलसिला चलता रह और अभी चल रहा है / सायकाल भजन कीर्तन के लिए लोग इकठे होते है और अपनी समस्यों का हल खोजते है तथा चढ़ावा भी चढाते है /मैंने कई बार इस पर आपति भी उठाई लेकिन मुस्लिम होने से डरा कि लोग यही कहेगे कि मुस्लीम है / इसलिये देवी पर विश्वाश नहीं कर रहा / स्वर्गीय सुरेश अंकल ने विश्वाश के चलते ही शायद कुछ नहीं कहा था /मुझे देवी पर विश्वाश है / भगवान् पर विश्वाश है / लेकिन महिला पर देवी आ सकती हैं विश्वास नही / देवी अगर महिला पर आ सकती हैं तो सभी महिला देवी है / उन पर भी तो देवी का वास हमेश होता है / उसी देवी को यही समाज सरे डायन करार दे कर मार भी देता है /देवी कि आड़ में लोग रोजगार चला रहे है / बड़ी विडम्बना है कि समाज पापुलर कल्चर को अपनाते हुए अंधविश्वास को छोड़ना नहीं चाहता है / इसी अंधविश्वास के चलते २० मार्च २०१० कि सायकाल को एक महिला को अपनी जान भी गवानी पड़ी / जान गवई महिला पहले से हार्ट अटैक कि मरीज थी / वह मोलड बंद विस्तार एल २६ में रहती थी / गली के सामने ही देवी वाली महिला का घर है / महिला शाम को उसके घर पूजा करने गई / भजन कीर्तन चालू था / भजन करते करते महिला वेहोश हो गई / वहाँ उपस्थित महिलाये तथा देवी धारण करने वाली महिला ने कहा कि देवी का वास हो गया है / बहुत देर तक होश नहीं आया पानी के छीटे मारी गयी / लगभग एक घंटे तक वही देवी होगे के शक में रोके रखा गया मामला गंभीर लगा तो अस्पताल कि याद आई / जहाँ डॉक्टर ने हार्ट अटैक होने से मारा घोषित कर दिया / अगर समय पर महिला को अस्पताल पंहुचा दिया गया होता तो शायद वह बच जाती / देवी पर्थ अंध विशवास के चलते उसने अपनी जान गवा दी / आवश्यकता है समाज को शिक्षित तथा वैज्ञानिक जागरुक बनाते कि कोई ढोंगी तांत्रिक, डोंगी मोलवी , ढोंगी साधू किसी को सुख समृधि प्राप्त करने के लिए उपाय दे रहा है / ऐसे ही एक मौलवी नोयडा में रहते है / मेरा मानना है सुख समृधि अपनी ईमानदारी कि मेहनत के साथ मानव सेवा है / कोई भी संत भगवान् नहीं है / किसी तांत्रिक देवी धारण करने वाली महिला के पास जाने कि जरूरत नहीं है / आप का कार्य आपकी मेहनत पर निर्भर करता है न कि किसी ढोंगियों के दर्शन से / सरकार ढोंगियों बबयो के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे ताकि सकाज को एक नहीं विचार धारा मिल सके और ढोंगी तंत्र समाज से समाप्त हो सके /
सैयद परवेज़

Tuesday, March 2, 2010

सवेंदनशील बनता हरियाणा पुलिस

२४ वे सूरज कुंद मेले में वैसे तो बहुत सी चीजे आकर्षक का केंद्र रही / लेकिन आकर्षण सामाजिक सरोकार से जुड़ा हो तो चार चाँद लग जाते है / इस बार हरियाणा पुलिस अकादमी की ओर से संवेदी पुलिस से दोस्ती पर स्टाल लगा / संवेदी इंचार्ज ( ए एस आई ) राधे श्याम जी ने बताया की इस बार २९ जनवरी से ७ फेब्रुअरी २०१० तक विश्व पुस्तक मेले में भी हमने अपना स्टाल लगवाया हुआ था / हमारी हरियाणा पुलिस का उद्देश्य है की खास तौर पर आम नागरिक पुलिस से दोस्ती करे और अपना मित्र समझे / तभी हम समाज को बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते है / यह हरियाणा पुलिस आकादमी की देश भर में पहली पहल है / अन्य राज्यों के पोलके को भी आम नागरिको से जोड़ने वाला कार्य करना चाहिए और करते भी होगे / कांस्टेबल संजय कुमार , कुलदीप सिंह , रविंदर सिंह और सीनियर कांस्टेबल ओम प्रकाश / ये सभी पुलिस कर्मी वहां पर लोगो से प्रशनावली भरवा रहे थे / जिसमे समाज से जुडी समस्याए थी और लोगो को समस्याओं का समाधान करने के लिए समझा रहे थे / हरियाणा पुलिस आकादमी समाज से ऋणत्मक पुलिस खौफ को समाप्त करना और अपना मित्र बनाना चाहती है / ताकि आम व्यक्ति भी पुलिस से कंधे से कन्धा मिलकर कार्य कर सके / यह तो बात थी हरियाणा पुलिस प्रशासन की ऐसी हरियाणा पुलिस आकादमी को सलाम और गर्व करना चाहिए / लेकिन प्रश्न उठता है ,क्या पुलिस थानों में भी यह भाई चारे फैलाने वाला कार्य करते है /क्या कोई गरीब, महिला की थानों में ऍफ़ .आई .आर .लिख दी जाती है /सिर्फ मेले में स्टाल लगाने से मामला हल नहीं हो जाता / लेकिन फिर भी सकारात्मक जरूर होगा /क्या हमें नहीं लगता की सूरजकुंड मेला या शहरीकरण का मेला गरीब यानि बी.पी.एल .परिवारों के लिए नहीं होता /वास्तविक तौर पर हरियाणा पुलिस को समाज में पुलिस के प्रति सकारात्मक बदलाव लाना है तो गरीब,दलित ,महिला के साथ हमेश अपने फर्ज का पालन करे / भारतीय कानून का पालन करे / जहाँ धर्म जाति उंच नीच ,धनवान , निर्धन / सभी के साथ पुलिस कानून का पालन करे / तभी इनके मेले का उदेदश्य पूरा होगा और हम गर्व से कहेगे वाह -वाह हरियाणा पुलिस /

सैयद परवेज़

Thursday, February 25, 2010

सवेंदनशील हरियाणा पुलिस

२४ वे सूरजकुण्ड मेले में वैसे तो बहुत सी चीजे आकर्षक का केंद्र रही / लेकिन आकर्षण सामाजिक सरोकार से जुड़ा हो तो चार चाँद लग जाते है / इस बार हरियाणा पुलिस अकादमी की ओर से संवेदी पुलिस से दोस्ती पर स्टाल लगा / संवेदी इंचार्ज ( ए एस आई ) राधे श्याम जी ने बताया की इस बार २९ जनवरी से ७ फेब्रुअरी २०१० तक विश्व पुस्तक मेले में भी हमने अपना स्टाल लगवाया हुआ था / हमारी हरियाणा पुलिस का उद्देश्य है की खास तौर पर आम नागरिक पुलिस से दोस्ती करे और अपना मित्र समझे / तभी हम समाज को बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते है / यह हरियाणा पुलिस आकादमी की देश भर में पहली पहल है / अन्य राज्यों के पुलिस को भी आम नागरिको से जोड़ने वाला कार्य करना चाहिए और करते भी होगे / कांस्टेबल संजय कुमार , कुलदीप सिंह , रविंदर सिंह और सीनियर कांस्टेबल ओम प्रकाश / ये सभी पुलिस कर्मी वहां पर लोगो से प्रशनावली भरवा रहे थे / जिसमे समाज से जुडी समस्याए थी और लोगो को समस्याओं का समाधान करने के लिए समझा रहे थे / हरियाणा पुलिस आकादमी समाज से ऋणत्मक पुलिस खौफ को समाप्त करना और अपना मित्र बनाना चाहती है / ताकि आम व्यक्ति भी पुलिस से कंधे से कन्धा मिलकर कार्य कर सके / यह तो बात थी हरियाणा पुलिस प्रशासन की ऐसी हरियाणा पुलिस आकादमी को सलाम और गर्व करना चाहिए /लेकिन प्रशन उठता है क्या पुलिस थानों में भी यह भाई चारे फैलाने वाला कार्य करते है /क्या कोई गरीब , महिला , की थानों में ऍफ़ .आई .आर लिख दी जाती है / सिर्फ मेले में स्टाल लगाने से मामला हल नहीं हो जाता / लेकिन फिर भी सकारात्मक जरूर होगा / क्या हमें नही लगता की सूरज कुंड मेला या शहरीकरण का मेला गरीबो यानि बी पी.एल .परिवारों के लिए नहीं होता / वास्तविक तौर पर हरियाणा पुलिस को समाज में पुलिस के प्रति सकारात्मक बदलाव लाना है तो गरीब ,दलित , महिला , के साथ हमेशा अपने फर्ज का पालन करे / तभी इनके मेले का उद्देश्य पूरा होगा / और हम गर्व के कहेगे ,वाह वाह हरियाणा पुलिस /

Sunday, February 21, 2010

अनिल चित्रकार ..........



२४ वे सूरजकुंड मेले में कला की बात करे तो देश विदेश के कलाकारों ने भाग लिया / चाहे व हस्त कला हो , मूर्तिकला ,पत्थरों पर नक्काशी हो ,चाहे लकडियो की छोटी छोटी नक्काशी से लेकर बड़े बड़े फर्नीचरो पर अद्भूत नक्काशी /कला की सुन्दरता बिखेरती चित्रकारी की बात ही निराली है /मैं तुलनात्मक अध्ययन नहीं कर रहा , लेकिन कुछ लोग , कलाकार ऐसे भी होते है जो दिल को छू जाते है /
उन्ही में से एक चित्रकार देखने में बिलकुल साधारण मिटटी पर बैठा हुआ व्यक्ति जोकि आज के वैश्विक संस्कृति ,भागती दुनिया में एकांत बैठा हुआ था और बदलते परिवेश को प्राकृतिक रंगो से विभिन्न रूपों में दिखा रहा था / बहुत से चित्रकारी युही पड़ी हुई थी / मेले की भीड़ शायद उसे देख नहीं पा रही थी या आधुनिकता की चादर ओढे समाज के पास इतना समय नहीं था / फिर भी चित्रकार प्रसन्न था /पूछने पर पता चला की इनका नाम अनिल चित्रकार है , जोकि अमदुबी गाँव ,पोस्ट पन्दा झारखण्ड से आये है / आपनी चित्रकारी से झारखण्ड लोक संस्कृति , बदलते परिवेश , भारतीय संस्कृति की विभिन्नताओ में एकता को उजागर करना चाहते है / उनके पास बैठा लगा की वास्तविक व्यक्ति के पास बैठा हूँ / जहाँ समानता है , बराबरी है . शायद उंच वर्ग या आमिर वर्ग मुझ से ज्यादा बात नहीं करता , क्योकि उनको पूछने वाले जयादा है / भूले भटके लोग कला कृतियों को देखने आ रहे थे / जोकि साधारण कागजो पर वास्तविक प्राकृतिक रंगों से बनी हुई थी / ऐसा लग रहा था , मानो झारखण्ड के आदिवासी समाज लोक संस्कृति आप से बात करना चाहती है / कला की कोई कीमत नहीं होती पारिश्रमिक के तौर पर वह १००- २००-३००- ५००-१०००-रुपये चित्र के अनुसार निश्चित थे / आप कभी भी झारखण्ड आये तो अमादुबी गाँव ,पोस्ट पन्दा में अनिल चित्रकार से मुलाकात जरुर करे

सैयद परवेज़
बदरपुर नई दिल्ली -44

Tuesday, February 9, 2010

कुछ सोचे ...........

पर्यावरण और जंगली जानवरों से लेकर पालतू पशुओं तक हमें सोचना होगा ? क्या इनका अस्तित्व बचा रहेगा ?एक तरफ शहरी करण बढ रहा है , दूसरी तरफ मानवता का विनाश करने वाले लोग संगठन बन गए है /प्रश्न है क्या मानवता बची रहेगी ? क्या मानव का अस्तित्व बचा रहेगा ? बैगेर प्रक्रति के क्या मानव का अस्तित्व बचा रहेगा ? पेडो की संख्या कितनी बची है ? क्या हमें दिखाई देता है ? एक तरफ लोग भूखे मर रहे है /दूसरी तरफ भूखे लोगो को मार रहे है / एक तरफ अधिकारों की बाते होती है दूसरी तरफ अधिकारों को हनन हो रहा है / दुनिया अजब निराली है ,विभिन्न विभिन्न तरह के लोग यह विभिन्न तरह की माया है / लोग संगठन बना कर पार्टी बनाकर यह भूल जाते है की यह दुनिया एक इश्वर का कैद खान है / यहाँ मानवता ही सब कुछ है / लोग समझे और सोचे /

Sunday, February 7, 2010

किसका बाड़ा .........

सपने में मेरी मुलाक़ात एक विद्वान् व्यक्ति से हुई /मैंने प्रणाम किया और अपना परिचय दिया / वह बोले बतावो और क्या सोचते हो /मैंने कहा आप के बराबर तो नहीं सोच पता हूँगा , लेकिन अच्छा बनाने और करने की जरूर सोचता हूँ / प्रथ्वी एक ऐसा कैद खाना है ,जहाँ जीवन के लिए वह सभी चीजे विधमान हैं , जो मानव को चाहिए /चाहे वह हवा पानी या सूर्य की रोशनी इत्यादि / मनुष्य चाहते हुए भी इस कैद खाने से भाग नहीं सकता , विश्वास नहीं तो भाग कर तो दिखाए /भागने के पीछे आत्म-हत्या शामिल नहीं है /
एक हमारी व्यवस्था का मानव -निर्मित कैद खाना है / जहाँ से भगा जा सकता है और पूंजीपति वर्ग , ऊँचे पदों वालो के लिए दिखावा / मानव निर्मित कैद खाने का ही रूप हमने देखा रुचिका केस / क्यों महिलावो को न्याय दिलने में कानून इतना ढीला ? कानून सिर्फ दबंग , ऊँचे पदों , के साथ क्यों ? खेर जिसकी अपनी सीमाए निर्धारित है /विद्वान् व्यक्ति बोले समय हो गया है , चलता हूँ /
मैंने आगे देखा की बहुत सारे जानवर एक बाड़े में बंद है /सभी को एक बड़ा जानवर आपस में लड़ा रहा है /उसने कहा सुनो भाइयो बाड़े में लड़ाई का मुख्य करण जानवरों की अधिकता है /अब हम नियम बनायेगे की बाड़े में किसे शामिल करना है या नहीं /नियम नानना शुरू हुआ की देश की संविधान व्यवस्था कुछ नहीं है /हम जो चाहेगे करेगे / यह बाड़ा हमारा है /हम संविधान से उलटा कार्य करेगे /बाड़े में रह रहे विभिन वर्गों के जानवरों को बोलने का हक़ नहीं है / जो हम सोचते है वाही ठीक है /हमारी ही लठाभाषा ,sअन्स्कृति कार्य करेगे और बड़े में राज करेगी / क्यों की यह बाड़ा बलिदान से बना है /हमारे लिए लोकतंत्र के मायने अपने बड़े में अपने जानवरों तक सीमित रहना चाहिए /हमें कुछ मतलव नहीं की इस बाड़े की विकास किसने किया / मै उस बड़े जानवर की बाते सुनता रहा और सोचा जानवरों का शोषण करने की लिए इस का अपना बहुत बड़ा स्वार्थ है /पता किया की कौन है /पता चला की यह शिव सेना के बहुत बड़े जानवर बाल ठाकरे है / अंत में और पता चला की एक और बड़े जानवर राज ठाकरे है /जो ज्यादा ही सोचते है / इतना तो अनुसन्धान करने वाला व्यक्ति भी नहीं सोचता है /खेर सोचना अधिकार है / अब तो सूचना का भी अधिकार है /

Sunday, January 31, 2010

ठाकरे सोचे .............

बाल ठाकरे आज कल शाहरुख़ खान की फिल्म माई नेम इज खान के पोस्टर जला रहे हैं तथा सिनेमेक्स थियटर के मैनेजर को धमकाया और थियेटर जलाने की धमकी दी /ठाकरे का सामना कहता है की शाहरुख़ खान ने पाकिस्तानी खिलाडियो के साथ हमदर्दी दिखा कर २६/११ के आतंकी हमले के शहीदों का अपमान किया है /ठाकरे को यह पता होना चाहिए की शाहरुख़ खान के दादा , एक सच्चे हिन्दुस्तानी थे /हिंदुस्तान की ज़मीं से उन्हें प्यार था / जीवन के अन्तिम दिनों तक वह अपने लेवल तक ,मानवता के लिए कार्य करते रहे / भारत के उनसे प्यार करते है / भारतवर्ष ने उन्हें और अब शाहरुख़ खान को प्यार दे रही है /शाहरुख़ खान को हर कौम , जाति, के लोग प्यार करते है / वह एक सच्चे भारतवासी हैं ,एक सच्चे समाज सेवक है / उन्होंने अभी तक मानवता के विरुद्ध काम नहीं किया है /दुःख होता है , ठाकरे शाहरुख़ खान को पाकिस्तान में बसने की बात करते हैं / ठाकरे को पता होना चाहिए की हिंदुस्तान पर जितना अधिकार उसका है उतना ही शाहरुख़ खान का है /कला चश्मा लगाकर ठाकरे का मन भी काला हो गया है /दुःख होता है जब सामाजिक कार्यकर्त्ता , देश की प्रति समर्पित व्यक्ति को धर्म का आधार बना कर , दुषता पूर्वक बयान ठाकरे दे रहे हैं /दुःख होता है जब कोई मुस्लिम होने का भेद करता है /भारत की जनता से अपील है , क्षेत्रवादी नेता , जीवन में साम्प्रदायिकता फैलाने वाले व्यक्ति ,अपनी रोजी रोटी चलने के लिए लोगो को भड़का रहे है / महाराट्र की जनता ऐसे दुष्टों का समर्थन न करे /क्यों की महाराष्ट की संस्कृति एकता आपसी भाई चारे को ठाकरे जैसे लोग दूषित कर रहे हैं /

सलाह भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को ..........

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से तुलना करते हुए कहा "बापू व मोदी दोनों के अनुसार रजनीति गरीबी हटाने का अधिकार है /राजनीति का उदेदश्य गरीबी हटाना है /मोदी इसका जीता जागता उदहारण है /" अगर भारत का आम इंसान सोचे तो क्या भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का तुलनात्मक अध्ययन कमजोर नहीं लगता है ? प्रश्न उठता है क्या मोदी समाजवादी विचार धारा के है ? क्या मोदी साम्प्रदायिकता फैलाने , गुजरात दंगा ,में हाथ नहीं रहा है ? क्या मोदी मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषण का प्रयोग नहीं करते / क्या उन्हें बोलने का ढंग है ,पता नहीं मुख्यमंत्री कैसे बने हुए है ? भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी धार्मिकता का पहलू ही ना देखे , एक अखंड भारत की एकता से देखे / गाँधी एक त्याग ,बलिदान ,शौर्य , वीरता ,का नाम है /गाँधी सत्य अहिंसा का नाम है /गाँधी अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने का नाम है /गाँधी कहते थे कोई मुझे मार सकता है मेरे विचोरो को नहीं / मै अंग्रेजी कानूनों का पालन नहीं करुगा ,लेकिन अहिंसा से मुकाबला करना है /गाँधी जी के विचारों में ना क्षेत्रवादिता थी न धर्मवाद था और न ही जातिवाद /किसी को गाँधी जी के प्रदेश से कोई मतलब नहीं /गाँधी राष्टीय एकता की मिसाल हैं / नरेन्द्र मोदी भारतीय एकता को तोड़ने वोले नेता जरूर है दुर्भाग्य है गुजरात के सम्बन्ध होने के बाद भी गाँधी जी का असर उन्हें नहीं हुआ / नरेन्द्र मोदी के विचारो में हिंसा है बातो में हिंसा है और कर्म में हिंसा है /भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को सोच समझ कर तुलना करना चाहिए मै मानता हूँ की तारीफ करने से आज के ज़माने में लाभ होता है , पर तारीफ के लायक व्यक्ति तो ढूढना चाहिए /

Thursday, January 28, 2010

सोचे ..............

हर क्षेत्र में विशष्टि करण हो रहा है /इस प्रकार समाज के विभिन्न क्षेत्रो पर नज़र डाले तो विशिष्टकरण का असर देखने को मिलेगा / प्रश्न है क्या राजनीति में विशिष्टकरण नहीं हो रहा है / मेरा मानना है बुल्कुल विशिष्टकरण हो रहा है /इसमें मानवता का गलाकाट विशिष्टकरण है /ऐसा विशिष्टकरण जिस पर मानवता भी रोने लगे / क्या में गलत कह रहा हूँ ? शायद गलत भी है कुछ लोग मानवता के लिए राजनीति करते /फिर प्रश्न उठता है क्या मानवता के लिए काम करने वाला भोजन नहीं करता / क्या वह इंसानों से अलग है ? क्या वह भागवान है ? बिल कुल नहीं / भोजन की बात आई है तो भोजन की एक सीमा होती है /कुछ लोग यह भी कहते है की जीवन शान से जीना चाहिए / प्रश्न है क्या शान से जीने के लिए भ्रष्टाचार करना जरुरी है / विकास के नाम पर क्षेत्रवाद फैलाना स्टुडेंट्स , अन्य राज्यों के लोग को मरना ,मानसिक अत्याचार करना क्या जरुरी है /भारत के अगर विश्लेषण करे तो क्या वह विशिष्टकरण अपने अन्दर ला पाए है / क्यों भेंड और बकरी की तरह हके जा रहे है /क्या भारत की जनता भेंड और बकरी है / कभी भेडिये धर्म के नाम पर , तो कभी जाति के नाम पर , आज कल जायद प्रचल में है क्षेत्र के नाम पर /भारत की जनता अपने अन्दर विशिष्टकरण लाये अच्छे नेता को चुने और लोग तंत्र को सफल बनाये

Monday, January 25, 2010

क्षेत्रवाद ........

एक जगह पढने को मिला की देश की सबसे मज़बूत महिला सोनिया गाँधी है / हमारे देश में महिला सर्वोच्च पद पर है / महिला चीएफ़ मिनिस्टर भी है /एक राज्य में महिला दलित अधिकारों की बात कर के आई और बाद में अपनी मूर्ति राज्य में लगाव दिया /यह भी मज़बूत महिला है / माया वती ने जिस बात के लिए अपनी मूर्ति लगवाई है मरने के बाद अपनी मूर्ति तोड़ने का वसीयत बनवाएगी और बनवाना भी चाहिए / भारत में कोई धर्म की राजनीती कर रहा , कोई क्षेत्रवाद की , कोई जाती आधारित राजनीती / आखिर यह क्या है /

Sunday, January 24, 2010

क्षेत्रवाद के बारे में ..........

महाराट्र में टैक्सी का परमिट उसे ही मिलेगा जो महाराट्र में १५ वर्षो से रह रहा है / क्षेत्रवाद का आन्नद पहले शिव सेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ही लेती थी /बदनाम थी और है / लेकिन कांग्रेस गटबंधन सरकार में ऐसा नियम कांग्रेस को भी क्षेत्रवाद की श्रेणी में डालता है / अब शिव सेना भूमि पुत्रो को अधिकार दिलाना चाहती है /ऐसा अधिकार जो भारतीय संविधान में नहीं है /शिव सेना और मनसे भारतीय संविधान के उलटे कार्य करते है / यह पूरा हिंदुस्तान जानता है / लेकिन कांग्रेस गटबंधन सरकार का फैसला शिव सेना और मनसे को बल देता है / अगर लोग समझते है की क्षेत्रवादी बनाने से विकास होगा तो वह गलत सोचते है / लोग ही सोचते है तभी तो ऐसे दुष्ट क्षेत्रवादी पार्टियों को बल मिल रहा है जो भारत की एकता और अखंडता को तोड़ रहा है / किसी ज़माने में बम्बई जाना गर्व की बात थी ,फिल्म का गाना भी है बम्बई हम को जम गई /बम्बई एकता की मिसाल लगाती थी /फ़िल्मी दुनिया का केंद्र बना बम्बई / देश विदेश से लोग आये हम देश की बात करगे / देश के कोने कोने से कलाकार बम्बई में इकठा हुए और होते है / आज मुंबई मुम्बा देवी की नगरी में अन्य राज्यों के कलाकारों के घरो पर और उन पर हमला होता है / भारत में ट्रेन भी चली तो मुंबई से / क्या मुंबई की कोई अपनी संस्कृति नहीं है / ऐसा लगता है क्षेत्रवादी नेता रिसर्चर , प्रोफेस्सर , या पि.एच डी कर रहे है / यह खुद ही संस्कृति की परिभाषा नहीं जानते और बात करते है संस्कृति और अधिकार की / यह बात करती है भूमि पुत्रो की भारत की भूमि सभी भारत वाशियों की है यह सभी भूमि पुत्र है / देश की आजादी भारत के भूमि पुत्रो ने दिलाई है / जो की भारत के विभिन्न कोने से है /और यह क्षेत्रवादी दुष्ट बात करते है भूमि पुत्र की / भारत की जनता खाश तोर पर जो राज्य क्षेत्रवाद से प्रभावित है वंहा के लोगो से निवेदन है की ऐसे क्षेत्रवादी पार्टियों को बल प्रदान न करे /

Sunday, January 17, 2010

पूंजीवाद क्या है ?

अक्सर लोग पूंजीकरण का विरोध करते है / मै तो खास तौर पर विरोध करता हूँ /हमारे देश मै पूंजीकरण फैला है /प्रश्न भी उठता है आखिर कौन पूंजी नहीं चाहता / क्या मै धनवान नहीं बनाना चाहता /क्या मुझे शौख नहीं कि मै अच्छा खाना खाऊ ,पहनू, सवारी करू /अच्छे स्कूल में शिक्षा पाने की भी इच्छा थी खैर इस जन्म में तो पूरी नहीं हुई /फिर प्रश्न उठता है कि अच्छे स्कूल मै शिक्षा लेने कि इच्छा क्यों हुई क्या हमारे सरकारी स्कूल कि शिक्षा निति ,ढंग , शिक्षको का व्यवहार क्या अच्छा नहीं है / बिलकुल जब मै स्कूल में पड़ता था तब तो यही हाल था / और अब भी यही हाल जरूर होगा / तभी तो पूंजी प्राप्त लोग,प्राइवेट स्कूल मै अपने बच्चे को शिक्षा दिलवाना चाहते है / पूंजीकरण से लोगो को रोजगार मिला है / यह भी सही है /और तो और भारत में काफी बदलाव आया है /फिर प्रश्न उठता है ? काफी बदलाव में क्या बदला है ?क्या हम मानसिक तौर पर नहीं बदले है ? बिलकुल हम मानसिक तौर पर भी बदले है / जभी तो दाल भात बोलने में शर्म आती है / .............,.,.....

Friday, January 1, 2010

इन कानूनों के बारे में सोचना होगा

सी आर पी सी -१९७ ( इन दिस्चार्गे ऑफ़ ओफ्फिसिअल ड्यूटी ) के तहत कुछ भी कर गुजरने की छूट हासिल है / क्या यह सही है ? कर्तव् पूरा करने के नाम पर अगर वे लोगो की जान ले तो उनके खिलाफ कारवाही तभी संभव है , जब राज्य सरकार इसकी इजाज़त देती है / इस के बारे में आम आदमी को सोचना होगा / नहीं तो धरा १९७ का दुरपयोग होता रहेगा /
एक्ट -३०५ -१८ वर्ष से कम आयु के बच्चे को आत्म हत्या के लिए उकसाने पर आजीवन या कम से कम दस वर्षो तक सजा का प्रवधान है /
लेकिन हमारे समाज की विडम्बना है की कानून धनवानों के पक्ष्य में ही रह रहा है / हम देखते है की एक रिक्शा वाले को हमारे समाज के धनवान वर्गों या पुलिस प्रशासन द्वारा उनकी पिटाई करते हुए हम देखते है / करण कानून का पालन न करना बताया जाता है / एक घर के नौकर को घर का मालिक चोरी का झूठा इनजाम लगाकर पुलिस वालो से पिटवाता है / पुलिस कर्मी उसे बहुत मरते है , लेकिन एक धनवान व्यक्ति या प्रशासिनक व्यक्ति को पुलिस वाले उसे चोर होते हुए भी छोड़ देते है /समाज को सवेंदन शील होना होगा तभी देश बदलेगा , राष्ट तरक्की की तरफ अग्रसर होगा /