Tuesday, December 14, 2010
Saturday, July 24, 2010
सैनिक और जार
Saturday, June 26, 2010
एक व्यक्ति
गोरखपुर चौरा चोरी के हिंसात्मक घटना के बाद महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था / अंग्रेजो ने कैदियों को छोड़ा उन कैदी में कि व्यक्ति भी छूटा , जिसके बाल तथा दाढ़ी बढ़ गए थे / जेल से छूटने के बाद कैदी ने आजीवन आपने बाल नहीं कटवाए / वह व्यक्ति एक निष्टावान , सामाज सेवी , आचारवान राजनेता ,एक समर्पनशील देश भक्त ,एक विवेकशील राजनीतिक और एक श्रद्धालू साहित्य सेवी के अतिरिक्त गंभीर विचारवान बना / आगे चल कर वह महात्मा गाँधी का पूरक सहयोगी बना /गाँधी जी के गुणों के करण व्यक्ति को उत्तरप्रदेश का गाँधी कहा जाने लगा / वह व्यक्ति मातृभाषा राष्ट्र प्रेम तथा सहयोग एवम त्याग कि भावना कूट कूट कर भरी हुई थी / महात्मा गाँधी जी व्यक्ति के गुणों के बहुत बड़े प्रशंसक थे / व्यक्ति का हिंदी प्रेम कि मुख्य उपलब्धि हिंदी साहित्य सम्मलेन भी है / सम्मलेन के काम काज को विकसित करने के लिए व्यक्ति ने गांघी जी को भी सम्मलेन का सदस्य बना लिया / कभी कभी व्यक्ति और गाँधी जी में अनेक बात को लेकर मतभेद रहता था / पर इस मतभेद के करण परस्पर संबंधो में कभी कटुता नहीं आई / व्यक्ति ने देश सेवा करते हुए 1 जुलाई 1962 को इस दुनिया को अलविदा कहा पता है वह व्यक्ति कौन था / वह थे राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन / ऐसे व्यक्ति को हमें नमन करना चाहिए /
सैयद परवेज़
Saturday, April 24, 2010
दुनिया के लोग
एक महात्मा घूम घूम कर लोगो को धर्म के रह पर चलने का वास्तविक उपदेश दे रहे थे / घूमते घूमते वह एक व्यक्ति के घर पहुंचे / व्यक्ति ने महात्मा को प्रणाम किया / महात्मा ने देखा कि व्यक्ति के तीन बच्चे है / घर भौतिक वादी आधुनिता से और वैशिवक संस्कृति से परिपूर्ण था / महात्मा ने कहा वत्स में धर्म का प्रचारक हूँ / धर्म के शिक्षा फैलाना चाहता हूँ / क्या तुम अपने एक बच्चे तो भी धर्म कि शिक्षा के लिए मेरे आश्रम में भेजोगे / व्यक्ति काफी देर सोचता रहा और अंत में बोला महाराज मेरे छोटे बच्चे को आप धर्म कि शिक्षा दीजिये / महात्मा बोले तुमने इतनी देर तक सोचा और छोटे लडके को ही क्यों चुना ?
व्यक्ति ने कहा महाराज यह लड़का मेरे दोनों लड़को कि तुलना में पढाई में होशियार नहीं है / अध्यापक इसे मूर्ख कहते है / तो मै यह चाहूँगा कि यह धर्म कि शिक्षा ले / महात्मा बोले आज के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो आश्चर्य है / लोग अपने मूर्ख लड़को को धार्मिक शिक्षक , धर्म गुरु बनाना चाहते है / उसके विपरीत बुद्धिमान को दुनिया दारी में ही रहने देना चाहते है / क्या विडम्बना है / वत्स खैर मूर्ख भी बुद्धिमान है / बस समझने का अंतर है / जब एक पागल को पूरी दुनिया पागल लगाती है और पागल को दुनिया के लोग जानते हुए भी पागल कहते है / लेकिन दुनिया के लोग यह नहीं जानते कि पागल तो वह है जो प्रक्रति और लोगो के साथ अमानवीय वर्ताव कर रहे होते है / महात्मा मूर्ख बच्चे को स्वीकार करते हुए कहते है यह उन समझदारो से कई गुना बेहतर है जो अपने को समझदार समझाते हुए भी राष्ट्र , मानवता के साथ पागलपन करते है / ऐसे पागलो कि खाश तौर पर भारत में कमी नहीं है /
सैयद परवेज़
Sunday, March 28, 2010
सराय कानून एक्ट १८६७.....
सैयद परवेज़
बदरपुर नई दिल्ली -44
Tuesday, March 23, 2010
दोंग का रूप
Tuesday, March 2, 2010
सवेंदनशील बनता हरियाणा पुलिस
२४ वे सूरज कुंद मेले में वैसे तो बहुत सी चीजे आकर्षक का केंद्र रही / लेकिन आकर्षण सामाजिक सरोकार से जुड़ा हो तो चार चाँद लग जाते है / इस बार हरियाणा पुलिस अकादमी की ओर से संवेदी पुलिस से दोस्ती पर स्टाल लगा / संवेदी इंचार्ज ( ए एस आई ) राधे श्याम जी ने बताया की इस बार २९ जनवरी से ७ फेब्रुअरी २०१० तक विश्व पुस्तक मेले में भी हमने अपना स्टाल लगवाया हुआ था / हमारी हरियाणा पुलिस का उद्देश्य है की खास तौर पर आम नागरिक पुलिस से दोस्ती करे और अपना मित्र समझे / तभी हम समाज को बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते है / यह हरियाणा पुलिस आकादमी की देश भर में पहली पहल है / अन्य राज्यों के पोलके को भी आम नागरिको से जोड़ने वाला कार्य करना चाहिए और करते भी होगे / कांस्टेबल संजय कुमार , कुलदीप सिंह , रविंदर सिंह और सीनियर कांस्टेबल ओम प्रकाश / ये सभी पुलिस कर्मी वहां पर लोगो से प्रशनावली भरवा रहे थे / जिसमे समाज से जुडी समस्याए थी और लोगो को समस्याओं का समाधान करने के लिए समझा रहे थे / हरियाणा पुलिस आकादमी समाज से ऋणत्मक पुलिस खौफ को समाप्त करना और अपना मित्र बनाना चाहती है / ताकि आम व्यक्ति भी पुलिस से कंधे से कन्धा मिलकर कार्य कर सके / यह तो बात थी हरियाणा पुलिस प्रशासन की ऐसी हरियाणा पुलिस आकादमी को सलाम और गर्व करना चाहिए / लेकिन प्रश्न उठता है ,क्या पुलिस थानों में भी यह भाई चारे फैलाने वाला कार्य करते है /क्या कोई गरीब, महिला की थानों में ऍफ़ .आई .आर .लिख दी जाती है /सिर्फ मेले में स्टाल लगाने से मामला हल नहीं हो जाता / लेकिन फिर भी सकारात्मक जरूर होगा /क्या हमें नहीं लगता की सूरजकुंड मेला या शहरीकरण का मेला गरीब यानि बी.पी.एल .परिवारों के लिए नहीं होता /वास्तविक तौर पर हरियाणा पुलिस को समाज में पुलिस के प्रति सकारात्मक बदलाव लाना है तो गरीब,दलित ,महिला के साथ हमेश अपने फर्ज का पालन करे / भारतीय कानून का पालन करे / जहाँ धर्म जाति उंच नीच ,धनवान , निर्धन / सभी के साथ पुलिस कानून का पालन करे / तभी इनके मेले का उदेदश्य पूरा होगा और हम गर्व से कहेगे वाह -वाह हरियाणा पुलिस /
सैयद परवेज़
Thursday, February 25, 2010
Sunday, February 21, 2010
अनिल चित्रकार ..........
२४ वे सूरजकुंड मेले में कला की बात करे तो देश विदेश के कलाकारों ने भाग लिया / चाहे व हस्त कला हो , मूर्तिकला ,पत्थरों पर नक्काशी हो ,चाहे लकडियो की छोटी छोटी नक्काशी से लेकर बड़े बड़े फर्नीचरो पर अद्भूत नक्काशी /कला की सुन्दरता बिखेरती चित्रकारी की बात ही निराली है /मैं तुलनात्मक अध्ययन नहीं कर रहा , लेकिन कुछ लोग , कलाकार ऐसे भी होते है जो दिल को छू जाते है /
उन्ही में से एक चित्रकार देखने में बिलकुल साधारण मिटटी पर बैठा हुआ व्यक्ति जोकि आज के वैश्विक संस्कृति ,भागती दुनिया में एकांत बैठा हुआ था और बदलते परिवेश को प्राकृतिक रंगो से विभिन्न रूपों में दिखा रहा था / बहुत से चित्रकारी युही पड़ी हुई थी / मेले की भीड़ शायद उसे देख नहीं पा रही थी या आधुनिकता की चादर ओढे समाज के पास इतना समय नहीं था / फिर भी चित्रकार प्रसन्न था /पूछने पर पता चला की इनका नाम अनिल चित्रकार है , जोकि अमदुबी गाँव ,पोस्ट पन्दा झारखण्ड से आये है / आपनी चित्रकारी से झारखण्ड लोक संस्कृति , बदलते परिवेश , भारतीय संस्कृति की विभिन्नताओ में एकता को उजागर करना चाहते है / उनके पास बैठा लगा की वास्तविक व्यक्ति के पास बैठा हूँ / जहाँ समानता है , बराबरी है . शायद उंच वर्ग या आमिर वर्ग मुझ से ज्यादा बात नहीं करता , क्योकि उनको पूछने वाले जयादा है / भूले भटके लोग कला कृतियों को देखने आ रहे थे / जोकि साधारण कागजो पर वास्तविक प्राकृतिक रंगों से बनी हुई थी / ऐसा लग रहा था , मानो झारखण्ड के आदिवासी समाज लोक संस्कृति आप से बात करना चाहती है / कला की कोई कीमत नहीं होती पारिश्रमिक के तौर पर वह १००- २००-३००- ५००-१०००-रुपये चित्र के अनुसार निश्चित थे / आप कभी भी झारखण्ड आये तो अमादुबी गाँव ,पोस्ट पन्दा में अनिल चित्रकार से मुलाकात जरुर करे
सैयद परवेज़
बदरपुर नई दिल्ली -44
Tuesday, February 9, 2010
कुछ सोचे ...........
पर्यावरण और जंगली जानवरों से लेकर पालतू पशुओं तक हमें सोचना होगा ? क्या इनका अस्तित्व बचा रहेगा ?एक तरफ शहरी करण बढ रहा है , दूसरी तरफ मानवता का विनाश करने वाले लोग संगठन बन गए है /प्रश्न है क्या मानवता बची रहेगी ? क्या मानव का अस्तित्व बचा रहेगा ? बैगेर प्रक्रति के क्या मानव का अस्तित्व बचा रहेगा ? पेडो की संख्या कितनी बची है ? क्या हमें दिखाई देता है ? एक तरफ लोग भूखे मर रहे है /दूसरी तरफ भूखे लोगो को मार रहे है / एक तरफ अधिकारों की बाते होती है दूसरी तरफ अधिकारों को हनन हो रहा है / दुनिया अजब निराली है ,विभिन्न विभिन्न तरह के लोग यह विभिन्न तरह की माया है / लोग संगठन बना कर पार्टी बनाकर यह भूल जाते है की यह दुनिया एक इश्वर का कैद खान है / यहाँ मानवता ही सब कुछ है / लोग समझे और सोचे /
Sunday, February 7, 2010
किसका बाड़ा .........
Sunday, January 31, 2010
ठाकरे सोचे .............
सलाह भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को ..........
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से तुलना करते हुए कहा "बापू व मोदी दोनों के अनुसार रजनीति गरीबी हटाने का अधिकार है /राजनीति का उदेदश्य गरीबी हटाना है /मोदी इसका जीता जागता उदहारण है /" अगर भारत का आम इंसान सोचे तो क्या भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का तुलनात्मक अध्ययन कमजोर नहीं लगता है ? प्रश्न उठता है क्या मोदी समाजवादी विचार धारा के है ? क्या मोदी साम्प्रदायिकता फैलाने , गुजरात दंगा ,में हाथ नहीं रहा है ? क्या मोदी मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषण का प्रयोग नहीं करते / क्या उन्हें बोलने का ढंग है ,पता नहीं मुख्यमंत्री कैसे बने हुए है ? भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी धार्मिकता का पहलू ही ना देखे , एक अखंड भारत की एकता से देखे / गाँधी एक त्याग ,बलिदान ,शौर्य , वीरता ,का नाम है /गाँधी सत्य अहिंसा का नाम है /गाँधी अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने का नाम है /गाँधी कहते थे कोई मुझे मार सकता है मेरे विचोरो को नहीं / मै अंग्रेजी कानूनों का पालन नहीं करुगा ,लेकिन अहिंसा से मुकाबला करना है /गाँधी जी के विचारों में ना क्षेत्रवादिता थी न धर्मवाद था और न ही जातिवाद /किसी को गाँधी जी के प्रदेश से कोई मतलब नहीं /गाँधी राष्टीय एकता की मिसाल हैं / नरेन्द्र मोदी भारतीय एकता को तोड़ने वोले नेता जरूर है दुर्भाग्य है गुजरात के सम्बन्ध होने के बाद भी गाँधी जी का असर उन्हें नहीं हुआ / नरेन्द्र मोदी के विचारो में हिंसा है बातो में हिंसा है और कर्म में हिंसा है /भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को सोच समझ कर तुलना करना चाहिए मै मानता हूँ की तारीफ करने से आज के ज़माने में लाभ होता है , पर तारीफ के लायक व्यक्ति तो ढूढना चाहिए /
Thursday, January 28, 2010
सोचे ..............
Monday, January 25, 2010
क्षेत्रवाद ........
Sunday, January 24, 2010
क्षेत्रवाद के बारे में ..........
Sunday, January 17, 2010
पूंजीवाद क्या है ?
Friday, January 1, 2010
इन कानूनों के बारे में सोचना होगा
एक्ट -३०५ -१८ वर्ष से कम आयु के बच्चे को आत्म हत्या के लिए उकसाने पर आजीवन या कम से कम दस वर्षो तक सजा का प्रवधान है /
लेकिन हमारे समाज की विडम्बना है की कानून धनवानों के पक्ष्य में ही रह रहा है / हम देखते है की एक रिक्शा वाले को हमारे समाज के धनवान वर्गों या पुलिस प्रशासन द्वारा उनकी पिटाई करते हुए हम देखते है / करण कानून का पालन न करना बताया जाता है / एक घर के नौकर को घर का मालिक चोरी का झूठा इनजाम लगाकर पुलिस वालो से पिटवाता है / पुलिस कर्मी उसे बहुत मरते है , लेकिन एक धनवान व्यक्ति या प्रशासिनक व्यक्ति को पुलिस वाले उसे चोर होते हुए भी छोड़ देते है /समाज को सवेंदन शील होना होगा तभी देश बदलेगा , राष्ट तरक्की की तरफ अग्रसर होगा /