Thursday, January 28, 2010

सोचे ..............

हर क्षेत्र में विशष्टि करण हो रहा है /इस प्रकार समाज के विभिन्न क्षेत्रो पर नज़र डाले तो विशिष्टकरण का असर देखने को मिलेगा / प्रश्न है क्या राजनीति में विशिष्टकरण नहीं हो रहा है / मेरा मानना है बुल्कुल विशिष्टकरण हो रहा है /इसमें मानवता का गलाकाट विशिष्टकरण है /ऐसा विशिष्टकरण जिस पर मानवता भी रोने लगे / क्या में गलत कह रहा हूँ ? शायद गलत भी है कुछ लोग मानवता के लिए राजनीति करते /फिर प्रश्न उठता है क्या मानवता के लिए काम करने वाला भोजन नहीं करता / क्या वह इंसानों से अलग है ? क्या वह भागवान है ? बिल कुल नहीं / भोजन की बात आई है तो भोजन की एक सीमा होती है /कुछ लोग यह भी कहते है की जीवन शान से जीना चाहिए / प्रश्न है क्या शान से जीने के लिए भ्रष्टाचार करना जरुरी है / विकास के नाम पर क्षेत्रवाद फैलाना स्टुडेंट्स , अन्य राज्यों के लोग को मरना ,मानसिक अत्याचार करना क्या जरुरी है /भारत के अगर विश्लेषण करे तो क्या वह विशिष्टकरण अपने अन्दर ला पाए है / क्यों भेंड और बकरी की तरह हके जा रहे है /क्या भारत की जनता भेंड और बकरी है / कभी भेडिये धर्म के नाम पर , तो कभी जाति के नाम पर , आज कल जायद प्रचल में है क्षेत्र के नाम पर /भारत की जनता अपने अन्दर विशिष्टकरण लाये अच्छे नेता को चुने और लोग तंत्र को सफल बनाये

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