Friday, June 3, 2011



नव भारत टाइम्स बुधवार के दी स्पेकिंग ट्री मे फिरोज बखत अहमद कहते है कि ख्वाजा ने कहा , दर्द से ही इमान पैदा होता है , जो कि बिल्कुल सही है / लेकिन बखत साहब सुफी मत और इस्लाम मे भेद करते हुए लिखते है / कि सुफी मत मे इस्लाम कि कट्टरता नहीं थी / इस पन्थ के लाचीलेपन के कारण लोग इसकी और आकर्षित हुए होंगे. / बखत साहब ने जो भी अनुमान लगा लिया हो , लेकिन एक बात उन्हे पता होना चाहिए कि कट्टरता क्या होती है / कट्टरता मतलब अपने नियमो के अनुसार चलना , जो अल्लाह ने बनाए है / इस्लाम धर्म को पुरी इमानदारी के साथ अनुसरण करने के साथ सुफी मत फैला , जो व्यक्ति चाहे किसी मत का हो वह कट्टर जब टक नहीं है , जब टक वह अपने धर्म को इमानदारी से नही निभा रह है / जो व्यक्ति धर्म के नाम पर लोगो को जाला रहा हो , बलात्कारी बन गए हो, मानवता को भुल कर साम्प्रदायिकता फैलने वाले भाषण देता हो वह कट्टर नही हो सकता है / क्योकी इसमे इमानदारी तो रही ही नहीं / बखत साहब कट्टर शब्द को भली भाँती पढे / फिर अपने विचार प्रकट करे/ अगर इस्लाम धर्म अपनी पुरी इमानदारी कट्टरता से लोग पालन करे तो पुरा ही सन्सार ही सुफी नज़र आएगा / संसार मे जितने भी मुख्य धर्म है / उसके अनुयायी अपनी मत को पुरी कट्टरता से पालन करे तो पुरी दुनिया ही सुफियाना लगेगी /
सैयद परवेज
बदरपुर न्यु दिल्ली -44

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